@Voice ऑफ झाबुआ
झाबुआ एक आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां शिक्षा का स्तर काफी कम है ऐसे में शासन द्वारा शिक्षा के लिए काफी अथक प्रयास किए जा रहे है। वहीं कई योजनाओं के माध्यम से छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए राशि भी छात्रावासों में रहने के वालें छात्र-छात्राओं के लिए आवंटित की जाती हैं मगर भ्रष्टाचार के चलते ये राषि में ऐसा गोलमाल होता है कि अधीक्षकों की बल्ले बल्ले हो जाती है… हाल ही में जनजाति कार्य विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर गणेश भाबर पदस्थ हुए है जिनके कार्य क्षेत्र में जिले भर के कई छात्रावास आते है जहां कई वर्षो से एक ही जगह पर सालों से नियम विरूद्ध सालों से मठाधीश बन बैठे है जो छात्रावासों को अपनी बपौती समझ बैठे है। जो बच्चों के विकास की ओर कम अपने विकास की ओर ज्यादा ध्यान देते है। तात्कालीन सहायक आयुक्त के कार्यकाल में बच्चों के मुंह का निवाला छिनने में भी इन अधीक्षकों ने कोई कसर नही छोडी… अगर जांच की जाये तो बच्चों के मुंह का निवाला छिन छिन कर कमाई लाखों की संपत्ती इनके नाम पर निकलेंगी। छात्रावासों के बर्तन तक इनके घरों से निकलेंगे… तरकारी तक ये छात्रावासों की इस्तेमाल करते है कई ऐसे बिन्दु है जिन पर जांच की जाये तो कई अधीक्षक नप जायेंगे… नवागत सहायक आयुक्त से जनता की आस है कि जिले के छात्रावासों की जांच की जाये… ताकि इन भ्रष्टों पर लगाम कसी जा सके। जनचर्चा यह भी है की कहीं भाबर साहब पीछले कार्यकाल की तरह गांधीछापों के सामने नतमस्तक न हो जाये… अब देखना है कि जनता ने उन पर जो आस की है उस पर भाबर साहब जांच करते है या फिर नही..! अगले अंक में बतायेंगे किन बिन्दु पर होनी चाहिए जांच..!