वाॅइस ऑफ झाबुआ वाॅइस ऑफ झाबुआ
एक नही… दो नही… पूरी तीन बेसकिमती सरकारी भूमि पर ये भू माफिया मुफज्जल ने कर रखा है मगर थांदला प्रशाशन या यू कहे न तो एसडीएम साहब कुछ कहना चाहते है? और न तहसीलदार साहब कार्रवाई करना चाहते है…. मतलब साफ है कहीं न कहीं सरकारी मुलाजिंमों के संरक्षण में ही बेसकिमती सरकारी भूमि पर कब्जा हो गया… तभी तो गांधी जी के तीन बंदरों की तरह थांदला प्रशाशन न कुछ कहना चाहता है… न कुछ बोलना चाहता है और ना ही कुछ सुनना चाहता है… अब एसडीएम साहब की ही बात कर लो… अगर उनसे कभी भी पुछा जाये क्या मामला है… तो वो तुरंत पल्ला झाड लेते है ये काम तहसीलदार साहब का है… और तहसीलदार साहब से बात करों तो उनके पास बहाने बहुत है…. अब सोचने वाली बात यह है कि एसडीएम साहब वहां के मुखिया है अपने अधिनस्थ और तहसीलदार साहब को कार्रवाई करना का तो कह सकते है… मगर ऐसा होता ही नही है…।
अब भूमाफिया मुफज्जल ने एमजी रोड सांई मंदिर के आगे अपनी दुकान के पीछे एक बडे शासकीय भूमि पर कब्जा कर निर्माण कार्य कर लिया है….प्रशाशन को इसकी थांदला प्रशाशन को इसकी खबर भी है मगर जान कर भी अनजान बन रही है। सुत्रों की माने तो भाजपा के एक पदाधिकारी का इसमें बडा हाथ है उसकी कारस्तानी और क्या है वार्ड का खेल इसके बारे में अगले अंक में हम बतायेगे… और किसके दम पर ये सब करता है… मगर सुत्रों का ये कहना है इन कब्जों पर कार्रवाई न करें के लिए तहसीलदार साहब को गांधीछापों की अच्छी सौंगात मिल चुकी है…।
जिले को एक नया रूप देने और एक अलग ही पहचान देने के लिए कलेक्टर सोमेश मिश्रा नित नई योजना बना कर जिले के समस्त अधिकारियों को निर्देषित भी कर रहे है हाल में कलेक्टर साहब ने भू माफियाओं पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए है मगर अब देखना यह है कि थांदला तहसीलदार साहब के पास सारे सबुत होने और जांच के दौरान अवैध कब्जा पाए जाने के बाद भी कार्रवाई करते है या नही… सुत्रों का तो कहना है ये कार्रवाई नही करेंगे कलेक्टर साहब के आदेशो से पहले ही जांच के दौरान मुफज्जल द्वारा जो गोडाउन ताना गया और तो दुसरा निर्माण है उसमें मजदुर की मौत होने के बाद भी कार्रवाई नही की गई तो अब क्या करेंगे। ऐसे सरकारी मुलाजिंम चंद गांधीछापों के चक्कर में कलेक्टर साहब की छवि भी धुमिल कर रहे है।
अब कलेक्टर साहब को ही कुछ करना होगा ताकि भुमाफिया मुफज्जल ने जो सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है उसे तोडा जाये और प्रषासन उस शासकीय भूमि को अपने कब्जे में ले। अगर उक्त भूमि प्रशाशन अपने कब्जे में ले लीज या दुकानों का निर्माण करती है तो प्रशाशन को लाखों रूपयों का राजस्व भी प्राप्त हो सकता है। शिकायतकर्ताओ की कलेक्टर साहब से गुहार है कि उक्त मामलों को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करें। लोगों का यह भी कहना है कलेक्टर साहब अगर किसी गरीब ने अतिक्रमण किया होता तो थांदला प्रशाशन उसे एक शिकायत या फिर शिकायत न होने पर भी कार्रवाई कर देता मगर ये कब्जा माफिया ने किया हुआ है और उससे सरकारी मुलाजिंमों को गांधीछापों की सौगात मिल रही है।
कहां से आता है इनके पास रूपया…और इनके भाई बंधुओं किस तरह से थांदला में खेल रहे है जमीनों का खेल… रोटरी और समाज सेवा के नाम पर मुफज्जल करता सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा अगले अंक में….!