@Voice ऑफ झाबुआ @Voice ऑफ झाबुआ
मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं और किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है, पहचान भी इन्होंने किस तरह नाम कमाया है यह हमें ने बताने की जरूरत नहीं यह पूरा जिला जानता है, इनका कार्यकाल इनके कार्यकाल में इनके कारनामे भी लंबे हो चुले है, यदि हम किसी एक का नाम या एक ही बात करें तो यह शायद नाइंसाफी होगी, यदि अखबार व मीडिया को की खबरों को संग्रहित कर लिया जाए तो इनके कारनामे को भली भांति समझा जा सकता है, चाहे फिर दवाई खरीदी का मामला या फिर कर्मचारियों को अटेचमेंट लेकर या जिले के सारे चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को लेकर या फिर कहे तो स्टाफ के साथ का इनका व्यवहार, इन्होंने हर तरफ अपने चर्चाएं बनाए रखें चर्चाएं अच्छी तो नहीं बुरी है जो स्वास्थ्य व्यवस्था की पूरी पोल खोलने के लिए पर्याप्त है, पेटलावद सिविल हॉस्पिटल मै अटैच रेडियोग्राफर जंगबहादुर दोहरे को अपनी मूल पदस्थापना ट्रामा सेंटर झाबुआ नही भेज रहे वही रामा से कल्याणपुरा अटैच धनसिंह चौहान और दीपक परमार का भी अटेचमेंट भी तोड़ रहे आखिरसीएचएमओ साहब अपने ही कर्मचारीयो के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार कर रहे है जिले मै सीएचएमओ साहब आए है तब से व्यवस्थाओं को लेकर या फिर कहे तो स्टाफ के साथ का इनका व्यवहार, इन्होंने हर तरफ अपने चर्चाएं बनाए रखें चर्चाएं अच्छी तो नहीं बुरी है जो स्वास्थ्य व्यवस्था की पूरी पोल खोलने के लिए पर्याप्त है, सुर्खियों में रहे हैं और इन पर आरोप लगते हैं जो किसी से छुपा नहीं है, स्थिति तो यह थी की इनके कार्यालय में कई घोटाले की भी बात सामने आईं थीं, पर इन्हें बचाने वालों की कतार भी काफी लंबी है जिस वजह से खराब फॉर्म होने के बावजूद सिफारिश पर अभी तक टिके हुए हैं, अब सिर्फ इनका विकेट गिरने का एकमात्र विकल्प बचा है।