वाॅइस ऑफ झाबुआ अंकित चौहान
थांदला में तो जितने भू माफिया है उससे ज्यादा यहां दलाल भी है… अब सोचने की बात है कि जहां आबादी है वहां सडकों का निर्माण नही हो रहा है… और जहां सडक की जरूरत नही है वहां माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए सडक का निर्माण करने के लिए जमकर खेल खेले जा रहे है मगर यहां कोई देखने वाला ही नही… लगता था भाजपा की नवागत परिषद बनते ही दलालों और माफियाओं पर नकेल कसेगी… मगर ऐसा लगता है… यह परिषद तो पीछली परिषद से भी ज्यादा अपनी धज्जियां उडायेगी… क्योंकि इस परिषद में विभिषण ही विभिषण है… और सुत्रों का कहना है कि अध्यक्ष पति भी अभी से कटपुथली की बना हुआ है जिसकी डोर किसी ओर के हाथों में ही है… जो बस बाजार में करतब दिखाने के लिए है… जहां डोर संभालने वाला नचायेगा वैसा नाच होगा…अब जो बायपास हाईवे से हेलीपेड तक जो रोड बनने जा रहा है जिसको बनाने की जरूरत ही नही है उसे बनाने की तैयारी चल रही है। मामला 15 लाख में जमा और 2 लाख सरकारी मुलाजिंम को भी दे दिए और सुना है झाबुआ को कोई ठेकेदार ये भ्रष्टाचार की सडक बनाने वाला है… इस सडक के खेल में ससुर दामाद दलाल शामिल है तो सारा खेल खेल रहे है सुना है इस मामले में और एक अन्य मामले को लेकर मुस्तम से 7 लाख रूपये भी भी उसके अवैध निर्माण को बचाने के लिए गए है जिसके बारे में हम आपकों अगले अंक में बतायेगे। मगर नगर पालिका अध्यक्ष लक्ष्मी सुनिल पण्दा अभी से सक्रिय नही हुए तो उनका आने वाला भविष्य भी खतरे में हो जायेगा… और ऐसा हाल होगा जैसा बंटी को हुआ… अभी मौका मिला है जनता की सेवा करने का ऐसे में अभी से ऐसे भ्रष्टाचार में माफियाओं को संरक्षण देने लगे तो वो दिन दुर नही अगली बार भाईसाबों के घरों के चक्कर लगाना पडे और अंत में जो आगे पींछे घुम रहे है वो साथ ना दे। ऐसे में अगर इस मार्ग की सडक बन जाती है तो छवि धुमिल सिर्फ और सिर्फ अध्यक्ष की होगी… दुसरों की नही… दुसरे तो मुसिबत के समय कन्न काट लेगे… और हां सबसे बडी बात तो यह है कि इन ससुर दामाद से तो दुर ही रहना दुसरी बार अध्यक्ष बनने के लायक नही रखेंगे। इसलिए स्वयं निर्णय लो किसी की कटठपुतली ना बने… और तुम्हारी डोर अपने हाथों में ले जैसा चाहे वैसा नचाता रहे।