नंद घर आनंद भयों जय कन्हैया लाल की‘‘ आलकी के पालकी जय कन्हैयालाल की धूम के साथ श्रीमद् भागवत कथा में कृष्णजन्मोत्सव मनाया गया। जहां कृष्ण की छवि में एक बालक को सजाया गया है। और सभी नृत्य व गरबे करते हुए फुल उडाते हुए खुशियां मनाई गई। जन्मोउत्सव का हर्ष मना और आतिशबाजी भी की गई।
नंद घर आनंद भयों की व्याख्या करते हुए बताया कि नंद यानी हर्ष और आनंद यानी चारो ओर हर्ष तो भगवान कृष्ण जब गोकुल में गये तो नंद के घर आनंद भयो यानी पूरे गोकुल में हर्ष हुआ। तो हम भी भगवान को अपने घर लाएगें तो हमारे यहां भी आनंद होगा।
*‘‘जय जय हिंदुस्तान की, चंदन जिसकी धरती, प्यारी माटी जिसकी रोली है‘‘*
व ‘‘ *इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले‘‘।* जैसे भजनों के साथ गुरूद्वारा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में देशभक्ति और भगवत भक्ति की शिक्षा देते हुए कथा मर्मज्ञ पं.श्रीहरि रमाकांत शुक्ला ने बताया कि धर्म वह जो सदमार्ग पर ले जा कर मुक्ति तक ले जाता है।
इस समय देश में धर्म अपने उच्च स्तर पर पहुंच रहा है। हर जगह मंदिरों पर सुंदरकांड पाठ होना। हनुमान चालिसा का पाठ होना हमारे लिए गर्व का विषय है।
भगवान के तीन प्रण है- सज्जनों की रक्षा करना, दुर्जनों का विनाश करना और धर्म की स्थापना करना है।
*सत्यम परम धिमहि*
भागवत गायत्री मंत्र का भाष्य है। भागवत सत्यम परम धिमहि से प्रारंभ हो कर सत्यम परम धिमहि पर पूर्ण होती है। भागवत जीने का तरीका सिखाती है। मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भगवान के लिए किया गया कार्य पूजा हो जाता है।और भगवान को जो अर्पित किया जाता है वह यज्ञ हो जाता है।इस मौके पर वार्ड क्र.12 की पार्षद रेखा प्रदीप पटवा के द्वारा भागवत कथा के आयोजन में 51 हजार रूपये भेंट किए गए। उन्होंने कथा स्थल पर पहुंच कर दान राशि भेंट की तथा कथा व्यास पीठ से प्रदीप पटवा को सम्मानित किया गया।