Voice Of झाबुआ से दिव्यांशु पाटीदार
किसी को दान देना पुण्य का काम माना जाता है और वही कुछ लोग भंडारे के नाम पर गांव-गांव जा कर घरों से गेहूं मांगते है और उन्ही गेहूं को बाजारों में बेच देते है।लोग पुण्य समझकर अपनी इच्छा से देते है दान,उन्ही दान को बेचते है बाजारों में। स्वयं के लाभ के लिए धार्मिक कार्य जैसे नाम को कर रहे है बदनाम। लोगो को धार्मिक कार्यक्रम के नाम पर झूट बोल कर लूटा जा रहा है।