सुरेश परिहार।
सारंगी हमारे सनितन धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रद्धालु पूरे विधान से तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न कराते हैं। ओर इसी दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। ओर देवउठनी एकादशी पर नगर के राधा कृष्ण मंदिर एवं घरों में तुलसी विवाह का कार्यक्रम हुआ। देवउठनी एकादशी के उपलक्ष में आयोजित तुलसी विवाह में सारंगी के धर्म प्रेमी जनता ने शुभ मुहूर्त में विधि विधान के साथ सभी रश्म निभाई और रविन्द्र अग्रवाल ने अपने घर से माता तुलसी को एक बैटि की तरह विदा भी किया गया रविंद्र अग्रवाल के पुरे परिवार के सदस्यों ने तुलसी विवाह कार्यक्रम को बड़े स्तर पर किया ,मंगलवार शाम को रविंद्र अग्रवाल के घर से बेंड बाजे ,ढोल के साथ भगवान को रथ में बिठाकर भगवान शालिग्राम की बारात निकाली गई
उसमें समाज के साथ अन्य समाज के महिला और पुरुष शामिल हुए बैंड बाजों की धुन पर पूरे रास्ते पर धार्मिक गीतों पर बारातीयो की तरह महिला, पुरुष, बच्चे नृत्य करते हुए चल रहे थे। भगवान शालिग्राम व तुलसी जी को बग्गी में विराजित किया गया था पूरे नगर में भ्रमण करते हुए करीब 2 घंटे बाद बारात राधा कृष्ण मंदिर स्थित विवाह स्थल पर पहुंची यहां बारातीयों का स्वागत पुष्प वर्षा कर किया गया इसके पश्चात लगन और मंडप की परंपरा निभाई गई राधा कृष्ण दामोदर का पूजन और गौत्र उच्चारण मंगलाष्टक पठन के बाद भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह किया गया उसमे सभी भक्तों ने कन्यादान का लाभ भी लिया ।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में नगर के महिला मंडल एवं सभी भक्तों का सराहनी संयोग रहा। अपनी माता को स्वर्ण सीढ़ी आरोहण भी करवाया* शालीग्राम विवाह के एक दिन बाद 13 तारीख बुधवार को अपनी माता जी को श्री मति मानकुंवर अग्रवाल को अपने पोते परपोते के बिच आज स्वर्ण सीढ़ी आरोहण कार्यक्रम करवया और रविन्द्र अग्रवाल ने अपनी माता जी को विधी विधान से पुजन कर स्वर्ण सीढ़ी आरोहण करवाया।