दिलीपसिंह भूरिया
वॉइस ऑफ झाबुआ की खबर का असर स्वास्थ्य विभाग के सीबीएमओ और बीएमओ के बाइट लेते ही सभी बंगालियों ने अपनी अपनी मौत की दुकानें बंद कर दी जिससे यह पता लगता है की खुद स्वास्थ्य विभाग ही बंगालियों को शह और शरण दे रहे है
।जिससे कार्यवाही नही करते और करते है तो एक दो क्लिनिक पर बाकी को सप्ताह भर के लिए फरार करवा देते है ।हर बंगाली कार्यवाही होते ही जगह परिवर्तित कर देता है अलीराजपुर अगर है उसका क्लिनिक तो बंद या कार्यवाही होने पर भाभरा क्लिनिक और हॉस्पिटल खोल कर चालू हो जाता है ।और अगर कठ्ठीवाड़ा बंद या कार्यवाही की जाती है तो जोबट उसके क्लिनिक और हॉस्पिटल खुल खाते है क्योंकि स्वास्थ्य विभाग उनको हर जगह मौन स्वीकृति देता आया है और लेता भी बहुत कुछ ऐसा सूत्र बताते है । कार्यवाही होते या खबर छपते ही मुख्य चिकित्सक अपनी उपस्थिति में बंगालियों से मुलाकात करके सारे मामले निपटाते है जिससे बंगाली डॉक्टरों के अंदर से प्रशासन और कार्यवाही का खौफ ही नही रहा और कार्यवाही भी नही कार्यवाही के नाम पर सीधे आराम किया जाता है क्योंकि एक जगह कार्यवाही होते ही सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल बंद हो जाते है ।।