थांदला
जेसा की सब लोग जानते है थांदला नगर के पास ही गुजरात की बाउंड्री मात्र 30 से 35 किलोमीटर पर लगती है जहां पर गुजरात में शराब पर पूर्ण तरीके से प्रतिबंध लगा हुआ है थांदला काकनवानी, वठा शराब की दुकानें महंगी होने की वजह यही हे की इन दुकानों से गुजरात की बाडर पास है l थांदला से मात्र 35 किमी काकनवानी 20 किमी और वठा से मात्र 10 से 15 किमी हे इन शराब माफिया इन ठेको से अंधा धुन शराब गुजरात पहुंचाने का कार्य कर रहे हे पर आबकारी विभाग इन पर करवाई करने में नोटो के चक्कर में असमर्थ दिखाई दे रहा है इन शराब माफियाओं द्वारा लगता आबकारी विभाग क्या ऊपर अधिकारियो तक इस काली कमाई का हिसा समय समय पर पहुंचाया जाता है जिस कारण इन आबकारी अधिकारियों द्वारा इनपर सही से कारवाई नही की जाती है इन अधिकारियों को किसी से कोई मतलब नहीं होता है क्यो की सरकार भी इन्हे हर महीने अच्छी खासी मोटी सेलरी दे रही हे साथ ही ऊपर से नीचे तक आबकारी विभाग के अधिकारियो तक इनका हिसा पहुंचने से इनकी तो लॉटरी लगी रहती है जिस कारण ये शराब माफिया अपना काम जोरो शोरो पर बिना किसी डर के करते हे और इन तीनो गावो के ठेकों से गुजरात माल सप्लाई बेहिचक किया जाता है l
दिन रात कर रहे शराब माफिया बोलेरो गाड़ी में शराब नगर सहित गावो में सप्लाई अधिकारी खुली आखो से सब देख रहे
आबकारी विभाग के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम हे अधिकारियों को शराब माफियाओं इतनी छूट दे रखी हे की इन शराब के ठेकेदारों ने पूरे आदिवासी बाहुल जिले को शराब का गड़ बना दिया हे और आबकारी विभाग के द्वारा थांदला नगर व आस पास के गावो में नशा मुक्ति अभियान के दरमिया कच्ची शराब,और ताड़ी के ऊपर करवाई की गई परंतु अंग्रेजी शराब पर नही इसकी क्या वजह हे और आज परियत तक थांदला आबकारी विभाग द्वारा करवाई नही देखने को मिली जहा थांदला नगर में गोवा जैसा माहोल इन शराब माफियाओं ने बना दिया हे वही शराब की दुकानें कदम कदम पर संचालित हो रही हे परंतु इन अधिकारियों द्वारा उनपर भी कोई करवाई नही की जाती है इन अधिकारियों को अपनी खाना पूर्ति करने के लिए देसी शराब पर कारवाई कर अंग्रेजी शराब माफियाओं को फ़ायदा पहुंचने का काम किया जा रहा है साथ ही अंग्रेजी शराब के ऊपर सालो में छोटी मोटी करवाई ढाबो पर कर खाना पूर्ति कर दी जाती हे l जहा थांदला काकनवानी वठा जेसे शराब दुकान से दिन रात इन शराब माफियाओं की बोलेरों गाडियां रात दिन भराया करती है और सब दूर नगर शहीत गावो में और गुजरात सप्लाई होती है तो इन अधिकारियों को क्यों नही नजर आती किया आबकारी अधिकारियों के सूत्र सिर्फ कच्ची शराब की ओर ताड़ी की ही इन्हे सूचना देते हे ये भी एक सोचने का विषय है नाही इन अधिकारियों ने शराब माफियाओं के ठेकों पर कई प्रकार के सरकार ने नियम बनाए गए हे परंतु अधिकारी एक भी नियमों का पालन करवाने में असमर्थ क्यो हे कही इसकी वजह नोटो का लेनदेन भी हो सकता है और आदिवासी समाज को इन अधिकारियों और शराब माफियाओं को अंग्रेजी शराब के नशे में झोका जा रहा है l