अध्यक्ष महोदया लक्ष्मीजी जरां संभल कर…!
माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए हो रहा है सडक निर्माण..!
सुना है 15 लाख में दलाल ससुर जमाई ने किया है सौदा…!
जहां दुर दुर तक मकान नही वहां सडक की क्या आवष्यकता..!
वाॅइस ऑफ झाबुआ अंकित चैहान
माफिया राज इन दिनों जोरों पर चल रहा है जहां भी बेषकिमती जमीन दिखी वहां ये अपनी नजर गाढ ही देते है… इसकी कोडियों के दाम वाली जमीनों को सरकारी मुलाजिमों और नेता नगरी के दलालों के साथ मिल बेशकिमती बनाने में भी नही छुकते है… एक ऐसा ही मामला थांदला नगर का सुनने में आया है.. जहां सडक की आवश्कता ही नही है वहां सडक का निर्माण कर कुछ रसुखदारों और माफियाओं को लाभ पहुंचाने का काम दलालोें द्वारा किया जा रहा है है। जो पिछली परिषद में होना तय था सुनने में आ रहा है उसे अब करने की तैयारी एक दलाल ससुर दामाद द्वारा की जा रही है सुनने में आ रहा है जिसका सौदा भी हो चुका है बस सडक बनना बाकि है।
अध्यक्ष महोदय हो जाओं सावधान
थांदला नगर परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुनिल पण्दा को बहुत ही सावधान रहना होगा… क्योकि माफिया उन्हे गुमराह कर कुछ भी करवा सकते है… जिससे उनकी छवि धुमिल भी हो सकती है… क्योंकि भाजपा के ही ससुर दामाद इन रसुखदारों और माफियाओं के दलाल है जो पीछली परिषद में भी मौजुद थे और इस परिषद में भी।
क्या है मामला
बाय पास हाईवे से हेलीपेड तक इस मार्ग पर एक भी मकान नही है… न ही आबादी क्षेत्र है और इस मार्ग पर कई रसुखदारों और माफियाओं की कोडियों के दाम वाली जमीनें भी है उन्हे लाभ पहुंचाने के लिए नगर परिषद के माध्यम से सडक निर्माण कर देने की सेटिंग हुई थी जिसका सौदा पीछली परिषद में दलालों ने 15 लाख में हअुआ था। जिससे इन माफियाओं और रसुखदारों का फायदा पहुंच सके… लेकिन सडक निर्माण नही हुआ… सुना है नई परिषद बनते ही… अध्यक्ष पति सुनिल पण्दा को अपना खास बताकर… लक्ष्मी पण्दा के अध्यक्ष बनते ही इस ससुर दामाद ने फिर से इस रास्ते के लिए सेटिंग करने लगे इस बार 15 लाख में सौदा हुआ… सुत्रों की माने तो दलाल ससुद दामाद का कहना है नियम कायदे जाये भाड में सडक हम कैसे भी बनवा देंगे… ऐसे में 15 लाख में सौदा होना…और अध्यक्ष लक्ष्मी सुनिल पण्दा को भी हिस्सा देने की बात कर… अपना हित साधना कहां तक उचित है जबकि इन बात की जानकारी लक्ष्मी सुनिल पण्दा को है ही नही… बिना वजह से अध्यक्ष को बदनाम करने की साजिश रचि जा रही है.. सीधे सीधे बात करें तो उक्त मार्ग पर रखुदारों की जमीन है वहां एक नाला भी जा रहा है मगर हेराफेरी कर यहां सडक निर्माण करना है ताकि गांधीछापों की सौगात मिल सके।
मुस्तम पर क्यों मेहरबान
इस मार्ग पर मुस्तम चिकलीया का भी मकान बन रहा है उसके घर के सामने ही एक नाला है उसे भी ढकने की बात कही गई है उस नाले के उपर से रास्ता बना दिया जायेगा जिससे मुस्तम को निकलने में आसानी होगी… उससे भी इन दलाल ससुर दामाद की डिल हुई है… ।
नगर पालिका अध्यक्ष व अन्य पार्षदों को इन दलाल ससुर दामाद से सावधान रहना होगाकृदामाद भी इस परिषद का हिस्सा है… ऐसे में कई ऐसे मामले है जिसमें परिषद के अध्यक्ष व पार्षदो को इस बात की जानकारी नही है… सौदा 15 लाख में हुआ है… और रसुखदारों और माफियाओं को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है… ऐसे में हाल ही में बनी परिशद की छवि धुमिल हो सकती है… ऐसे में भी से सावधान रहे सतर्क रहे… कुछ भी हो सकता है… एक सप्लाय तो हो चुकी है। अगर आप जनता का विकास करने आये है तो जहां आवश्यकता हो वहां विकास करें। जहां जहां आवश्यकता ही नही वहां निर्माण कार्य की क्या आवश्यकता।
अगले अंक में हम आपको बताएँगे इस खेल में किस किस को पहुँचा टोकन.. ओर मुस्तम का क़ब्रिस्तान पर अवेध क़ब्ज़े का क्या है मामला जल्द ही