वॉइस ऑफ झाबुआ से सुरेश परिहार पेटलावद।
पेटलावद में पांच वर्ष से अलग रहने वाले पति-पत्नी ने लोक अदालत में एक साथ रहने का फैसला लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रामसिंग पिता लिंबा वसुनिया निवासी ग्राम गरवाखेड़ी और लता पति रामसिंग वसुनिया जो की वर्ष 2017 से आपसी विवाद होने के कारण अपने पति से अलग अपने पिता गुलाब मकोड़ निवासी कुंभाखेड़ी के यहां निवास कर रही थी और एक भरण-पोषण का प्रकरण न्यायायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी पेटलावद में लगाया था। प्रकरण आदेशित राशि की वसूली हेतु विचाराधीन होकर लंबित था जो शनिवार लोक अदालत के रोज न्यायाधीश रुचि पटेरिया अरोरा और प्रार्थिया के अधिवक्ता अमृतलाल वोरा की समझाइश पर पति-पत्नी दोनो ने मन मुटाव को भुलाकर शांति से रहने का फैसला लिया और एक दूसरे को न्यायालय में माला पहनाकर न्यायालय से एक साथ खुशी-खुशी अपने घर गए। वही 2016 से परिवादी देवेंद्र गोड़ ओर अभियुक्त महेश तंडावी के बिच एन आई एक्ट का प्रकरण न्यायिक दंडाधिकारी महोदय प्रथम श्रेणी पेटलावद के यहां पर विचाराधीन था जिसमे न्यायाधीश चिराग अरोरा और परिवादी की ओर से अधिवक्ता रविराज पुरोहित तथा आरोपी की और से अधिवक्ता जितेंद्र जायसवाल की समझाइश पर आरोपी एवं परिवादी के मध्य समझोता कर 06 वर्ष पुराने प्रकरण को समाप्त किया गया। न्यायालय द्वारा समझोता करने करने वाले पक्षकारों को एक-एक पौधा उपहार स्वरूप देकर प्रोत्साहित किया गया। लोक अदालत को सफल बनाने में जिला न्यायाधीश महोहरलाल पाटीदार, चिराग अरोरा, रुचि पटेरिया अरोरा, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष विनोद पुरोहित, राजेंद्र चतुर्वेदी, बलदेव सिंह राठौर, अनिल कुमार देवड़ा, कैलाशचंद्र चौधरी, राजेंद्र कुमार मूणत, लक्ष्मीनारायण वैरागी, राजेश यादव, दीपक वैरागी, दुर्गेश पाटीदार, ईश्वर परमार, मनोहर सिंह डोडिया, देवीसिंह बामनिया, कमलेश प्रजापति, मोहसिन रजा मंसूरी, संजय भायल, राजपालसिंह डोड़ सहित न्यायालयीन कर्मचारी नायब नाजिर रमेश बसोड़, हीरालम मुनिया, पवन पाटीदार, शैलेश हिहोर, भरत मुनिया, संजय शर्मा, रामलाल यादव, धूलसिंह डिंडोर, कृष्णा परमार, माधव राठौड़ आदि की सरहानीय भूमिका रही। इस लोक अदालत में 50 से अधिक प्रकरणों में समझोता हुआ है।