सुनिल डामर वॉइस ऑफ झाबुआ
क्या आपके बच्चे भी स्कूल प्राइवेट स्कूल में वैन से पढऩे जाते हैं। यदि हां तो फिर आपको सतर्क रहने की जरूरत है।आपके बच्चे स्कूल में कैसी पढ़ाई करते हैं इस बात की जानकारी तो आप ले लेते हैं। लेकिन बच्चे यदि स्कूल वैन से स्कूल जा रहे है तो कभी उनसे ये भी पूछिए की उन्हें किस तरह वैन में बैठाकर लाया ले जाया जाता है और वो किस तरह की परेशानियों से गुजर कर स्कूल आते जाते हैं। प्राइवेट स्कूल संचालक थोड़े से फायदे के लिए बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे जिसका जीता जागता उदाहरण आए दिन सड़कों पर देखने को मिलता है। शासन के सख्त निर्देश के बावजूद भी सारे नियम कायदों को ताक में रखकर स्कूल वैन में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जाते हैं। जिसे किसी न किसी बड़े हादसे को न्यौता देने से कम नहीं माना जा सकता।
मामला थांदला रोड़ स्थित बचपन स्कूल खवासा का है। जहां स्कूली बच्चों को तुफान गाडी में भेड़ बकरियों कि तरह ठूंस ठूंस कर ही नही बिठाया जा रहा है बल्कि बच्चों को तुफान वाहन कि छत पर भी बैठाया जा रहा है। जिसकी तस्वीरें आप देख सकते हैं।साफ तौर पर स्कूल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हो रही है।ऐसा किसी एक स्कूल में नहीं बल्कि क्षेत्र की की कई स्कूल बसों की है जिसमें बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है।और बच्चों की जान से खिलवाड़ किया जाता है।इसके बाद भी जिम्मेदारों को ये सब नजर नहीं आता।अब सवाल यह है कि समय रहते जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर आकर्षित हो पाएगा या फिर किसी बड़ी घटना के बाद ही नींद से जागेगें?