प्रभारी मंत्री जी… जरां स्वास्थ्य विभाग की ओर भी दो ध्यान… यहां भ्रष्टाचार की ऐसी गाथाएं लिखी जा रही है कि आप सोच भी नही सकते है…. यहां स्टेंटमेंट पर ही बिलों का भुगतान हो जाता है… और लोकल पर्चेसिंग व अन्य आवंटन की दवाईयां 70 और 30 परसेंट के कमीशन के विभाजन में खरीदी ही नही जाती है… अटैचमेंट के नाम पर मलाईदार कुर्सी पर बैठ बाबु लोग गांधीछापों का जमकर खेल खेल रहे है। मंत्रीजी आप आते है और वार्डो और अन्य निरीक्षण कर के चले जाते है और आपकों सब कुछ अच्छा अच्छा ही बताया जाता है… असल में सीएमएचओ साहब और उनके चटरगुल्ले मिल कागजों में ऐसी हेराफेरी करते है कि सारे नियम कायदे उसके सामने फेल है… क्योंकि नियम कायदों को इन्होने तांक में रख दिया है।
मंत्री जी…! अब आपकों हम इनके ऐसे कारनामें बताते है जो इनका सर्वश्रेष्ठ आईडिया है जिसके लिए जनता का कहना है इन्हे सम्मानित किया जाना चाहिए… जनचर्चा है कि वर्ष 2019 से कारोना काल प्रारंभ हुआ… 24 मार्च 2020 में संपूर्ण भारत में लाॅक डाउन लगा… जो जहां था वहीं रह गया… रेल मार्ग, हवाई मार्ग, बस यात्रा, यहां तक नीजि वाहन यात्रा भी बंद हो गई थी। मगर हास्यपद बात यह है कि झाबुआ जिले के सीएमएचओ डाॅक्टर जयपालसिंह ठाकुर साहब और उनके 6 लेखापालों और चटरगुल्ले अधिकारी/कर्मचारियोें ने उस दौरान महीने में 20 दिन बस से यात्राएं की और बडा मंहगा बस से अना जाना किया… वो भी जिन रास्तों पर जिन रास्तों पर बस रूट है ही नही.. उन उन रास्तों पर भी बस चलाई… बस कौनसी… किसकी थी… कहां से कहा चली ये तो जांच का विषय है… सुत्रों की मानें तो सबसे बडा गडबड झाला ये है कि कर्मचारियों खुद की बस टिकट के कटटे छपवा लिए और खुद कंडक्टर बन नकली टिकट काटे। ये पुरा खेल जिले भर में सीएचएचओ और उनके कमाउ 6 लेखापालों एवं चटरगुल्ले कर्मचारी ने मिल लगभग एक करोड से अधिक का का भ्रष्टाचार करने में कोई कसर नही छोडी। सुत्रों का कहना है सीएमएचओ साहब के लाए हुए खास कर्मी को कहते हुए सुना है कि कोरोना काल में बिलों के लिए 50 प्रतिशत और कोरोना काल के बाद 35 प्रतिशत कमीशन लिए गया। एक लोखापाल ने तो अपनी सेवा निवृत्ती को देख कर जुन 2020 तक के यात्रा भत्ता निकाल लिया, सेवा निवृत्ती होने के बावजुद आज भी वे अपने कार्यालय की शोभा बने रहे है। हर रोज सुबह 10 से शाम 5 बजे तक कार्यलय खोल रहे है। जीपीएफ, फर्जी बिल और जितना भी कागजों में हेराफेरी करना हो तो इनसे ही करवाई जा रहे है… इन्ही महाशय ने एक बडा जीपीएफ घोटाला किया है ये महाशय कोई ओर नही लुणियालाल है… इन महाशय ने एक महिला के जीपीएफ की राशि किसी और कि खाता स्लीप लगाकर इन्होने 3 लाख रूपयें किसी अन्य उसी नाम की महिला के खाते में डाल कर आधा आधा कर ली। जब बात सामने आई जिसके खाते से पैसे आहरण हुए तो उनकी सेवा निवृत्ती के पूर्व आवेदन किया किन्तु सीएमएचओ साहब ने ध्यान नही दिया और सारा आहरण हो गया मंत्री जी अब आप को ही कुछ करना होगा… ये कोई झुठी कहानी नही है… इस संबंध में श्रीमान अपर संचालक महोदय, सचालनालय स्वास्थ्य सेवायें भोपाल को शिकायत भी कि जा चुकी है। जांच के आदेश भी आये थे पर कागजों में ऐसी हेराफेरी हुई कि लक्ष्मीयंत्रों की ऐसी सौगात मिली की जांच अधिकारी भी खुश हो गए।