झाबुआ जिला एक आदिवासी बहुमूल्य जिला है जहां पर आदिवासी लोग निवासरत करते हैं जिन्हें अपनी दिनचर्या चलाने के लिए मजदूरी हमाली वह खेती कर अपना गुजारा किया जाता है अपनी जरूरतों को लेकर इन्हे पैसे की जरूरत पड़ती है तो पहले ये लोग नगर सेठों से अपनी जरूरत के हिसाब से पैसा ब्याज दर पर उठाते थे जिसमे साहूकारों को ब्याज भर भर के उनकी कमर झुक जाती थी और आज भी कई जगहों पर ऐसा देखा जाता है आज ऐसा ही मामला थांदला नगर में स्थित आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड में देखने को मिल रहा है थांदला नगर में जहां पर प्राइवेट बैंकों का जमावड़ा हो चुका है और गांव गांव जाकर एजेंटों द्वारा महिलाओं का ग्रुप बनाकर लोन वितरण किया जा रहा है चार महिलाएं से अधिक का ग्रुप होता है तब लोन दिया जाता है इसमें फाइल चार्ज ₹850 व पति-पत्नी का बीमा ₹750 का किया जाता है साथ ही जो एजेंट लोन दिलवाने के लिए ग्रुप तैयार करते हैं सूत्रों ने बताया उनके द्वारा व्यक्ति से लोन दिलाने के लिए एक ₹1000 उनसे लिए जाते हैं क्योंकि थांदला में अधिकतम आसपास गांव में आदिवासी रहते हैं जो अशिक्षित है और उनके द्वारा किसी प्रकार के कर्ज लेते टाइप सवाल नहीं पूछे जाते हैं तो उन्हें फटाफट लोन कर अपने चुंगल में फंसा लिया जाता है और कोई समझदार व्यक्ति उनसे किसी प्रकार के सवाल कर लेता है जो पहली बार लोन ले रहा हो तो उसका पहला हक पूरी डिटेल जानना होता है ऐसे में एक महिला द्वारा प्राइवेट बैंक वालों से चंद सवाल किए गए यदि सर अगर लोन भरने में एक का दिन विलंब हो जाता है तो क्या होता है इसका ब्याज दर क्या है यदि नहीं भर पाते हैं तो उसमें कितनी पेनल्टी लगती है इन कुछ सवालों का जवाब पूछने पर जो महिला का लोन अप्रूवल हुआ था उनसे मैनेजर द्वारा जवाब देने की बजाय वहां से आने के बाद उनके साथी के पास कॉल आता है कि हम उनका लोन नही कर पाएंगे यदि अगर कोई व्यक्ति का लोन उठा रहा है और वह उस चीज के बारे में जानना चाहता है तो इस आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड के अधिकारियो का जिम्मा बताना नही बनता है किया और थांदला में जितनी प्राइवेट कंपनी बैंक चला रही है इन सब का जिम्मा बनता है आदि कोई इंसान कुछ पूछता है तो उन्हें संतुष्ट किया जाए सारी बातों में जानकारी दी जाए यदि ऐसी प्राइवेट बैंकों की मनमानी चलती रही तो आम जनता का क्या होगा और आदिवासी भाई इनके चंगुल में फंसते जाए प्राइवेट बैंकों पर कलेक्टर महोदय को भी ध्यान देना चाहिए कि झाबुआ जिले में प्राइवेट कंपनियां क्या आतंक मचा रही है और आदिवासियों को क्षति पहुंचा रही है इनकी पूर्ण रूप से जांच की जानी चाहिए जिससे मालूम पड़ सकता है इनका ट्रांजैक्शन और इनकी बैंकों के रजिस्ट्रेशन के बारे में साथ ही आदिवासी संगठनों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए की यह प्राइवेट बैंक वाले गांव में आकर किस प्रकार से आदिवासी लोगों को चूना लगा रहे हे।