मनावर/ मयंक साधु
एक शिक्षित और प्रशिक्षित नेता होना लोकतंत्र के लिए एक अच्छे अनुभवी नेतृत्व के मार्ग को प्रशस्त करते हैं ! ऐसे ही ऊर्जावान नेतृत्व के रूप में प्रदेश की राजनीति में डॉ हीरालाल अलावा वर्तमान में देखे जा रहे हैं ! इनके पॉलीटिशियन होने के साथ चिकित्सक होने का लाभ भी जनता को मिलता जा रहा है जिसके साथ शारीरिक बीमारी दूर करने का साहस तो उनमें ही लोकतंत्र की बीमारी को दूर करने का भी साहस और जज्बा में रखते हैं ! लोकतंत्र की बीमारी से हमारा तात्पर्य भ्रष्टाचार,भूख,भय और अत्याचार को मिटाना ! यह संभव हो सकता है एक आदिवासी नेतृत्व को उपमुख्यमंत्री या स्वास्थ्य मंत्री बनाने पर ? अब आप सभी के जेहन में एक सवाल आ रहा होगा क्या आदिवासी नेतृत्व से यह संभव हो सकता है किसी अन्य समाज का व्यक्ति क्या इस कार्य करने को में सफल नहीं हो सकता !तो हमारा जवाब है बिल्कुल हो सकता है किंतु आदिवासी राष्ट्रपति हो सकता है तो उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं हो सकता है इसमें भी क्या समस्या है ? यह भी एक सवाल बनकर उभर रहा है ! इस लेख का यह अंत नहीं है इसे और अधिक विस्तृत रूप से अगले एडिशन में प्रकाशित किया जाएगा तब तक आप इस प्रश्न का जवाब सोचिए !