@वॉइस ऑफ झाबुआ @Voice ऑफ झाबुआ
मध्य प्रदेश ही नहीं भारत के आदिवासियों की आवाज बन कर उभरा सामाजिक संगठन जयस आदिवासी समाज के हर मुद्दे पर मुखर रहकर शोषण अत्याचार भ्रष्टाचार व असंवैधानिक कार्यों के प्रति अपनी आवाज बुलंद करते हुए, संवैधानिक अधिकारों व देश की आजादी व जल जंगल जमीन के लिए अपना बलिदान देने वाले सब कुछ न्योछावर कर देने वाले महापुरुषों को उजागर कर पटल पर रखा जिससे आदिवासी समाज में एक नई क्रांति उत्पन्न हुई समाज में एक उम्मीद जगी समाज सांस लेने लगा गर्व महसूस करने लगा था।
लेकिन सामाजिक संगठन जयस को ढाल बनाकर पदाधिकारी स्वार्थ सिद्ध करने के लिए जयस के कार्यक्रम में जुटने वाली भीड़ का फायदा उठाने के लिए चुनावी मैदान में कूद पड़े जिला अध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी ने भी चुनाव लड़ लिया, जिससे भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य दलों में काम करने वाले आदिवासी समाज के कार्यकर्ता जो जयस के समर्थन में थे, सहित समाज के लोगों को लगने लगा की जयस का भी अंतिम लक्ष्य राजनीति ही करना है, और समाज के युवाओं का समाज जनों का भरोसा उठने लगा। सरकारी कर्मचारी राजनीति के शिकार होने से बचने के लिए संगठन से दूरियां बनाने लगे, जयस फेक्टर आदिवासी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका में रहता है लेकिन संगठन के पदाधिकारी ही चुनाव मैदान में कूद पड़े तो समाज का भरोसा टूटना जायज है।