जब जब अतिक्रमण मुहिम चालु हुई तब तब वो सिर्फ गरीबों के आशियाने तोडे गए और रोजी रोटी… थांदला गेट से लगाकर राजवाडा तक अतिक्रमण का ऐसा जाल फैला है कि यहां से दो पहियां वाहन भी निकलना दुभर हो जाता है… लोगों ने नालियों पर औटला बना कर अपनी दुकानों का सामान बाहर रखा हुआ है… सडक पर पार्किग की जाती है… नालियों से 2 से 5 फिर की दुरी पर मकान होना चाहिए तो नालियों पर ही दिवारें खडी है… दुकानों के बाहर बडे बडे शेड लगा दिए गए है… आये दिन इस मार्ग पर जाम लग जाता है… मगर यहां कभी अतिक्रमण मुहिम नही चलती है… मुहिम तो सिर्फ गरीबों पर चलती है… माना गरीबों ने भी अतिक्रमण किया है… पर पहले कभी इधर भी तो डंडा चलाओ तो जाने की हां मामा का बुल्डोजर किसी को नही छोडता… एक बार यहां का अतिक्रमण तो जिला प्रषासन हटा कर दिखाये… अगर सच में अतिक्रमण मुहिम चले तो इन मार्गो की कई दुकाने व घर धराशायी हो जायेगे। मगर यहां अतिक्रमण मुहिम नही चलेगी क्योंकि यहां रसुखदारों से सेटिंग होगी… और मिलेगी गांधीछापों की सौगात… देखते है रसुखदारों पर मामा का बुल्डोजर चलता है कि नही… या फिर प्रशासन गरीबों पर ही रोब झाडता रहेगा…।