थांदला अविनाश गिरी।
प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी सरेआम दिखाई दे रही है परंतु कोई प्रशासनिक अधिकारी ध्यान देने वाला नहीं दिखाई दे रहा है आपको यह भी बता दें कि प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा नर्सरी से 1 तक के बच्चों की फीस 25 से ₹30 हजार तक वसूली जा रही है परंतु बच्चों को किसी प्रकार की सुविधा देने में यह स्कूल प्रशासन असमर्थ दिखाई दे रहे हैं ऐसा ही मामला थांदला के संस्कार पब्लिक स्कूल में दिखाई दे रहा है जहां पर स्कूल संचालक के पास नहीं बच्चों के खेलने का ग्राउंड उपलब्ध है जिस कारण वहा पर पड़ने वाले बच्चे खेल जगत से अपनी दूरियां बनाते दिख रहे हैं साथ ही संस्कार पब्लिक स्कूल के पास इतनी भी पर्याप्त जगह नहीं है कि वहां पर अध्ययन करने वाले बच्चे प्रार्थना में सही से खड़े हो पाएं साथ ही सबसे बड़ी समस्या स्कूल के पास लगे टावर से निकलने वाली तरंगों से कई प्रकार की बच्चों को बीमारियां भी हो सकती है परंतु स्कूल संचालकों को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है आपको यह भी बता दे जब संस्कार पब्लिक स्कूल संचालित हुई थी तब संस्कार पब्लिक स्कूल के पास एक अच्छा खासा ग्राउंड भी था और वहां पर किसी प्रकार का टावर भी नहीं लगा था परंतु आज नहीं स्कूल के पास कोई ग्राउंड है वही इस्कुल के दीवार के पास ही टावर लगवा दिया गया है उसमें से निकलने वाली तरंगों से बच्चों को कई प्रकार की बीमारियां होना लाजमी है टावर की तरंगों से कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रही है
मोबाइल टावर के रेडिएशन से हैल्थ को होने वाले दुष्प्रभावों के मद्देनजर हाईकोर्ट ने भले ही कई बार कड़ी टिप्पणी कर इन्हें आबादी से दूर लगाने के निर्देश दिए हों, लेकिन थांदला नगर के एक प्राइवेट स्कूल में इन आदेशों कोई असर नहीं दिख रहा है। मामला थांदला के संस्कार स्कूल का है। स्कूल के पास ही टावर लगा हुवा हे l
जबकि मोबाइल टावर नीति के अनुसार किसी भी स्कूल-कालेज के आसपास मोबाइल टावर लगाना गैर-कानूनी है।
परंतु ये झाबुआ जिला हे सहाब यहां पर किसी भी नियमों का पालन नहीं होता है यहां तो सिर्फ नोटो का खेल होता है प्रशासनिक अधिकारी नोटो के चलते किसी भी परकार के अवैध कार्यों को वेद कर अपने जेब भरने में लगे दिखाई देते हैं और बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते स्कूल संचालक व प्रशासनिक अधिकारी जीने इन चीजों पर ध्यान रखने के लिए सरकार अच्छी खासी मोटी सैलरी दे रही है परंतु यह अधिकारी अनलीगल कार्यों को बढ़ावा देते नजर आ रहे हैं
मोबाइल टावर के आसपास अन्य भी स्कूल और रिहायशी इलाका है, जिस कारण मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिएशन का बुरा असर बच्चों की हैल्थ पर पड़ रहा है। टावर से निकलने वाली इलैक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे कैंसर की वजह भी बन सकती हैं।
एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन उत्पन होता है वही संस्कार पब्लिक स्कूल की दीवार से लगे इस टावर से कितना रेडीशन उत्पन्न होता होगा और बच्चों के स्वास्थ्य पर असर कर रहा है परंतु स्कूल संचालक को बच्चों के स्वास्थ्य से क्या मतलब उन्हें तो अपनी जेब भरने से फुर्सत ही नहीं मिल रही है स्कूल संचालक बच्चों के स्वास्थ्य से खेलते नजर आ रहे हैं साथी बच्चों की पढ़ाई सिर्फ एक बिजनेस बनकर रह गई है नर्सरी क्लास से लेकर पहली तक के बच्चों की फीस 25 से ₹30 हजार तक इन प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा वसूली जा रही है परंतु उन्हें किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं दी जा रही है और साथ ही उनके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है
मोबाइल टावर के 300 मीटर दायरे में सबसे ज्यादा रेडिएशन होती है। एंटेना के सामने वाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं। टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटिना होंगे, रेडिएशन भी उतना ही ज्यादा होगा।
रेडिएशन से होने वाले 12 नुकसान इस प्रकार हे
1-थकान
2-अनिद्रा
3-डिप्रेशन
4-ध्यान भंग
5-चिड़चिड़ापन
6-चक्कर आना
7-याद्दाश्त कमजोर होना
8-सिरदर्द
9-दिल की धड़कन बढऩा
10-पाचन क्रिया पर असर
11-कैंसर का खतरा बढऩा
12-ब्रेन ट्यूमर
यह हे टावर लगाने के नियम :
-छतों पर सिर्फ एक एंटीना वाला टावर ही लग सकता है।
-पांच मीटर से कम चौड़ी गलियों में टावर नहीं लग सकता।
-एक टावर पर लगे एंटीना के सामने 20 मीटर तक कोई घर नहीं होना चाहिए।
-टावर घनी आबादी से दूर होना चाहिए।
-जिस जगह टावर लगाया जाता है, वह प्लॅाट खाली होना चाहिए।
-टावर से निकलने वाली रेडिएशन की रेंज कम होनी चाहिए।
-कम आबादी में जिस बिल्डिंग पर टावर लगाया जाता है, वह कम से कम पांच- छह मंजिला होनी चाहिए।
-टावर के लिए रखा गया जैनरेटर बंद बॉडी का होना चाहिए, जिससे शोर न हो।
-जिस बिल्डिंग की छत पर टावर लगाया जाता है, वह कंडम नहीं होनी चाहिए।
-दो एंटीना वाले टावर के सामने घर की दूरी 35 और बारह एंटीना वाले की 75 मीटर जरूरी है।