@Voice ऑफ झाबुआ
कुछ महीनो पहले बनी गांव की सरकार जो विकास के नाम पर बनी थी वही विकास के विश्वास पर अपना मत रखते हुए मतदाता ने गांव की सरकार चुनने में कोई कसर नही छोड़ी,परंतु नेताओ की कथनी करनी में अंतर होता हे ये सुना था पर आज देख भी लिया,मामला झाबुआ जिले की तेहसिल थांदला के अंतर्गत आने वाली भामल पंचायत का हे जहा विकास के नाम पर ममता बहादुर चरपोटा को मत देकर भामल का प्रधान बनाया था परंतु गांव की प्रधान बनी महिला सरपंच ममता बहादुर चरपोटा के खिलाफ पंचों सहित उप सरपंच ने एक लिखित आवेदन दिया जिसमे पेयजल समस्या को सही करते हुए पानी की व्यवस्था के अनुसार नल देने की बात कही,वही आवेदन में स्पष्ट रूप से लिखा है की पंचों और उप सरपंच द्वारा कई बार मौखिक रूप से बोलने पर भी बस्ती और नई आबादी में करीब एक माह में पानी नहीं दिया जा रहा है,वही आवेदन में ये भी लिखा हे की अगर व्यवस्था नही हो पा रही हे तो हमे आगे मजबूर होकर आगे नही जाना पढ़े,पंचों और उपसरपंच द्वारा दिए गए आवेदन में स्पष्ट रूप से कहा जा सकता हे की सरपंच और मंत्री अपनी मनमानी करते हुए पेयजल के नाम पर भामल में पक्षपात कर रहे है।