अभी भी गर्मी का मौसम गया नही है ऐसे में बेसमय बिजली के गुल हो जाना और घंटों तक वापस नही आने से काफी परेशानी होती है। ऐसे में हम सरकार को दोष देते है कि सरकार निकम्मी है… मेन्टेनेस के नाम पर लोगों को बेवकुफ बना रही है… न जाने क्या क्या हम कह जाते है। मगर कोई इस बात की तह तक क्यों नही जाता कि आखिर मामला क्या है। आखिर किसी भी समय बिजली गुल होने का क्या कारण है।
क्या पुरे वर्ष भर होता है मेंटेनेंस
थोडी सी हवा चली बिजली गुल… थोडी सी बारिश भी क्या हुई तो बिजली गुल… और लाईनों को सुधारने का काम पुरे वर्ष भर चलता है। मेंन्टेनेंस का कार्य तो विशेष समय पर ही होता है। अगर झाबुआ नगर की ही बात करें तो पुरे 18 वार्डो में बिजली गुल किसी भी समय हो सकती है नगर वासियों को काफी परेशीन होती है। वर्ष भर लाईनें सुधारने की बजाय एक बार में तकनीकी जांच कर समस्या को दुर किया जा सकता है मगर ऐसा नही होता।
काबिलियत की है कमी
ऐसा लगता है बिजली विभाग में जो आउट सोर्सेस और परमानेंट कर्मचारी है उनमे ंइतनी दक्षता नही है कि वो समस्या का कारण जान सके। तभी तो सुबह जिस लाईन को सुधारा वो लाईन रात को वापस फाल्ट हो जाती है। एक ताजा उदाहरण कुछ दिन समय पहले का ही है दिलीप गेट वार्ड क्रमांक 16 में लगभग साढे 11 बजे बिजली गुल हुई कर्मचारी आए पर उन्हे फाल्ट नही मिला और कुछ देर मटरगस्ती कर चले गए। रहवासी फोन पर फोन बिजली विभाग को लगाते रहे मगर कोई सुनने वाला नही था नगर पालिका उपाध्यक्ष पुत्र रात में बिजली विभाग पहुंचे और उन्होने अपनी समस्या से अवगत करवाया तब जाकर जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी पहुंचे तभी उन्हे फाल्ट नही मिला तब जाकर एक युवक ने बताया कि इस खम्बे से हर बार लाईट जाती है तब जाकर कर्मी खम्बे पर चढा और टुटे जम्फर को जोडा। उस पोल से आए दिन फाल्ट होते रहते है ऐसे में विद्युत कर्मचारी सिर्फ औपचारिकता निभाते है। अगर दक्ष कर्मियों की भर्ती कि जाये तो ऐसी समस्या का सामना नही पडेगा। नगर पर मे अगर देखें तो विद्युत लाईनों और वायरों का जाल फैला हुआ है और ना ही व्यवस्थित लाईन जोडी जाती है। ऐसे में दक्ष कर्मी हो तो कौन से फेस से घरों में सप्लाय दे… वायरों का जाल न फैलने दे ऐसा कुछ कर सकते है।
क्यों न जिला कलेक्टर महोदय करें योग्यता की जांच
हम ये नही कह रहे है की सभी कर्मचारी अपनी योग्यता में दक्ष नही है मगर हर रोज बिजली गुल होना विद्युत विभाग के कर्मियों पर कई सवालिया निशान खडे कर रहे है अगर कलेक्टर सोमेश मिश्रा अगर इस और ध्यान देते हुए विद्युत विभाग के कर्मचारियों की दक्षता एवं योग्यता की जांच करें तो दुध का दुध और पानी का पानी हो सकता है। क्योंकि हम हर बार सरकार पर दोष लगाते है कि सरकार ऐसा कर रही है मगर हम ये नही देखते है कि जिम्मेदार कर्मचारी अपने कर्तव्य का निर्वहन अच्छी तरह कर रहे है या नही। क्योंकि न समय पर फोन उठता है और न ही शिकायत के बाद कोई समय पर आता है कलेक्टर साहब से अनुरोध है कि एक बार कर्मचारियों की दक्षता एवं योग्यता की भी जांच हो जाये। कई कर्मी ऐसे भी होंगे जिन्हे प्लस माईनस का भी ज्ञान न होगा और कई ऐसे भी होंगे जो फर्जी दस्तावेजों से नौकरी लगे है।