सुरेश परिहार
खेड़ापति हनुमान जी मंदिर प्रांगण में पंडित श्री मयंक शर्मा के मुखारविंद चल रही सात दिवसीय श्री राम कथा का समापन पंच कुंडीय हवन एवं भंडारा के साथ हुआ समापन
कथा के आखिरी दिन रामचरितमानस के सुंदरकांड , लंका कांड , और उत्तर कांड की महिमा का बहुत ही सुंदर वर्णन किया पंडित जी ने कहा संसार में हमें मित्रता राम और सुग्रीव , विभीषण जेसी करना चाहिए हमें ऐसा मित्र बनाना चाहिए जो हमारी हर मुसीबत में साथ खड़ा रहे जो मित्र को फांसी के फंदे से भी निकाल कर ले आए मानव को कभी भी किसी भी तरह का अहंकार नहीं होना चाहिए क्योंकि जो आज हे वह कल नहीं भी हो सकता है इसलिए हमें हमेशा निरं हकारी होना चाहिएकथावाचक पंडित श्री मयंक शर्मा का समिति एवं नगर पत्रकार संघ की ओर से श्रीफल साल एवं साफा पहनाकर सम्मान किया गया ,कथा समाप्ति के बाद पंच कुंडी हवन किया गया रामचरितमानस की आरती उतारी गई महा प्रसादी के रूप में भंडारे का आयोजन रखा गया जहां नगर एवं आसपास के क्षेत्रों से भक्तों ने भंडारे में पहुंचकर प्रसादी ग्रहण कीश्री राम कथा के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति ने पंडित जी एवं कथा श्रवण करने आए सभी भक्तों का आभार प्रकट किया