आज के मोबाइल टीवी इंटरनेट इंस्टाग्राम की वजह से लोगों के जीवन में जवानी आ रही है बुढ़ापा आ रहा है पर बचपन खोता जा रहा है बच्चे खेलना कूदना भूल चुके हैं संस्कार भूल रहे हैं वह सिर्फ मोबाइल में अपना बचपन बीता रहे हैं और जो नहीं सीखना है वह सभी बातें सीख रहे हैं यह चिंतन व चिंता का विषय है बच्चे जब तक घर में है जैन है लेकिन जैसे ही घर के बाहर पढ़ने जाते हैं तो पता नहीं वहां जाकर वो क्या हो जाएंगे अतः हमें हमारे गौरवमई इतिहास व चरित्र नायकों से वर्तमान पीढ़ी को परिचित करवाना अतिआवश्यक है उन्हें जैनियों के राष्ट्र निर्माण व धर्म जागरण के लिए जो किया है वह बताएं वह हम स्वयं जानेंगे तो हमें हमारे धर्म पर गर्व होगा गौरव भी होगा उक्त बात आचार्य श्री विश्वरतन सागर सुरी जी ने स्थानक भवन में आयोजित धर्मसभा में कही।
आपने आगे कहा भारत के जितने भी ऐतिहासिक किले हैं उनमें हर एक में जैन मन्दिर है और उसमें में परमात्मा भी विराजित है जो यह दर्शाता है कि उस समय जैन धर्म व समाज राज परिवार में कितना सम्मानीय था।
शिवाजी की माता जीजा बाई पति से अलग होकर शिवाजी का लालन-पालन किया और उनमें जैन धर्म के प्रति भी अटूट श्रद्धा भी थी उन्होंने परमात्मा की स्वर्ण प्रतिमा बनाई जो आज भी कायम है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का दीवान भी जैन था उसने रानी को इतिहास में अमर बना दिया वर्तमान भारत के अगर नव निर्माण की बात करें तो महाराणा प्रताप का नाम सबसे आगे आएगा और उनकी सफलता के पीछे अगर किसी का नाम आएगा तो वह जैन श्रावक भामाशाह का नाम आएगा जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपनी सारी संपत्ति लगाकर इतिहास में जैन व जैन समाज को अमर कर दिया।
आप चाहे मंदिर मार्गीय हो स्थानकवासी हो तेरा पंथी हो दिगंबर हो पर जब जैनम जयति शासन का उद्घोष हो तब सब संप्रदाय का सूर एक हो अगर आपने इतिहास से जुड़े तो गर्व से कह सकेंगे कि हम जैन है अगर अपने इतिहास को भूल गए तो इतिहास भी हमें भूल जाएगा।
आज सभा में समग्र जैन समाज ने उपस्थित होकर नगर की एकता व जैन धर्म के प्रति अपने समर्पण का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया वहीं पेटलावद के श्रावक ललित भंडारी की हरिद्वार चातुर्मास में समाज को दिगयी सेवा के लिए भरी सभा में गुरुदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया।