कलेक्टर साहब ये आदिवासी बाहुल्य जिला है यहां के ग्रामीण बच्चों के पास वो सुविधा नही है… जो शहर में रहने वाले अमीर बच्चों के पास है… अधिकांश यहां के ग्रामीण खेती पर निर्भर है… ऐसे में शासन द्वारा प्रतिवर्ष शासकीय स्कूलों में खेल सामग्री के लिए राशि आवंटित की जाती है… ताकि ग्रामीण बच्चें खेल उसी तरह निपुर्ण हो सके… जैसे शहरी बच्चें… मगर इस वर्ष जो स्कूलों खेल सामग्री सप्लाय की गई… वो बिल्कुल घटिया किस्म की सामग्री थी… जिसमें जिले के भीख मगें नेताओं ने पुरा गोलमाल किया… मेहनत मजदुरी तो ये कर नही सकते बस गरीबों के टुकडों पर ही पलते है… जिनकी वजह से भाजपा भी बदनाम हो रही है….
सुना है इन भीख मंगे नेताओं ने बीआरसी और सीएससी को एक कमरे में घेर कर खुब डराया धमकाया… और घटिया खेल सामग्री लेने के लिए खुब दबाव बनाया… जब इनकी पोल खुली तो ये गायब हो गये… सुत्रों की माने तो काला पाल जैसे भीख मंगे नेता और सांसद के भाई मुख्य सरगना सुरजमल एंड संस को संरक्षण दे रहे है… सुरजमल एवं संस वही फर्म है जिसे सबसे पहले कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा ब्लेक लिस्टेड किया गया था… फिर भी एफआईआर अभी तक दर्ज नही होना कई सवालिया निषान खडे कर रहे है… सुत्रों का यह भी कहना है ये भिखमंगा कालापाल और सांसद का भाई जांच अधिकारी पर भी एफआईआर नही करवाने का दबाव बना रहे है… सांसद महोदय भी एक आदिवासी है उन्हे इस और ध्यान देते हुए गरीब आदिवासी बच्चों के खिलौनों पर डाका डालने वाले सुरजमल एंड संस पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देष देना चाहिए। सांसद हमेशा से आदिवासियों के हितों के लिए लडते आये है… ऐसे में चंद लोगों की वजह से उनकी छवि खराब होती नजर आ रही है… सुत्रों का तो यह भी कहना है थांदला पेटलावद, रामा में भी जो घटिया खेल सामग्री सप्लाय की गई वो भी सुरजमल एड संस द्वारा सप्लाय की गई मगर बिल दुसरी दुसरी फर्म के लगाये… बेचारे बिल देने वाले इस घोटाले में फंस गए… बात सिर्फ गरीब बच्चों के खेल खिलौने की की… ऐसे में प्रदेश के मुखिया का स्वर्णिम प्रदेश बनाने का सपना केसे साकार होगा… और ऐसे भ्रष्ट नेताओं की वजह से कलेक्टर साहब आपको भी प्रदेश के मुखिया की फटकार पडती रहेगी… ये तो भिखमंगे है… छवि किसकी आपकी खराब हो रही है… ऐसे में ऐसे भ्रष्टों पर तो मामा का बुल्डोजर चलना चाहिए… ताकि ये लोग कभी भी शासन की योजनाओं पर पलीता न फेरे…।