Voice of झाबुआ उमेश चौहान
हनुमान जयंती थी तो आज हनुमान मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ लगी थी। इतने में थके मांदे पटवारी साहेब मोटर साइकिल पर हार फूल और नारियल लेकर पहुंचे। तभी पीछे से बड़े साहेब की गाड़ी का आना हुआ। उन्हें देखकर पटवारी साहेब की चाल तेज हो गई और एक सांस में ही दर्जनों सीढियां पार कर वे साहेब के मंदिर में पहुंचने से पहले ही हाथ में हार फूल और नारियल की थैली लेकर खड़े हो गए। मुस्कराते हुए उन्होंने बड़े साहेब के सामने शीश नवाया और थैली उनके हाथ में थमा दी। बड़े साहेब के साथ आए गार्ड ने कतार में लगे भक्तो को हटाते हुए दर्शनों के लिए जगह बना दी। इस दृश्य को एक पिता – पुत्र बड़ी गौर से देख रहे थे। पुत्र ने अपने पिता से पूछा वो व्यक्ति कौन है तो पिता बोले बेटा वो दुनिया के सबसे गरीब साहेब है। बेटा अचरज से पिता को देखने लगा। पिता ने कहा -जो अपनी जेब से भगवान के लिए प्रसाद भी नहीं खरीद सकते तो वो हुए न सबसे गरीब। पर जब तू बड़ा आदमी बने तो हमेशा अपने पैसे से गरीब की मदद करना और प्रसाद भी अपनी ही जेब से लेना। तभी पुण्य मिलेगा।उधर, बड़े साहेब गर्व से मंदिर में परिवार के साथ मत्था टेक रहे थे और पिता पुत्र हंसते हंसते घर जा रहे थे।