कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार हाल हो में विधानसभा चुनाव हुए 5 राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश के संगठन में भी बदलाव की तैयारी की जा रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि अरुण यादव और जीतू पटवारी में से किसी एक को पीसीसी की कमान सौंपी जा सकती है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ संगठन की वजह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं। मध्य प्रदेश की कांग्रेस राजनीति को लेकर दिल्ली में बड़ी सरगर्मी है। अरुण यादव और जीतू पटवारी सहित अनेक नेता अपने समर्थकों सहित दिल्ली में मौजूद हैं और शीर्ष नेताओं से मिल रहे हैं। आने वाले कुछ महीनों में 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस दृष्टि से कांग्रेस अपने संगठन को चाक-चौबंद करने की कोशिश कर रही है। इसी सिलसिले में सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश के मामले में भी फीडबैक लिया था। अरुण यादव ने गत दिनों 45 मिनट मुलाकात कर सोनिया गांधी को मध्य प्रदेश कांग्रेस के संबंध में जानकारी दी थी। उनको शिकायत थी कि प्रदेश कांग्रेस के सारे सूत्र कमलनाथ ने अपने हाथों में ले रहे हैं। इस कारण से पार्टी को नुकसान हो रहा है। बढ़ती उम्र के कारण कमलनाथ मैदान में उसने सक्रिय नहीं रह पाते। अरुण यादव जिस समय सोनिया गांधी से मिल रहे थे उस समय कमलनाथ देश के बाहर थे। स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने संकेत दिए हैं कि यदि कांग्रेस
कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी, पांच राज्यों के साथ मध्यप्रदेश में भी संगठन की सर्जरी होगी, अरुण यादव, जीतू पटवारी सहित अनेक नेता दिल्ली में सक्रिय
क्षेत्रीय संतुलन मालवा निमाड़ के पक्ष में
पार्टी क्षेत्रीय संतुलन की दृष्टि से भी इनके नाम पर विचार कर सकती है क्योंकि कमलनाथ महाकौशल क्षेत्र से आते हैं इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद स्वाभाविक रूप से मालवा निमाड़ को जा सकता है। मालवा निमाड़ प्रदेश का सबसे बड़ा अंचल है जहां 66 विधानसभा सीटें आती है। कहा जाता है कि मालवा निमाड़ से ही वल्लभ भवन का रास्ता जाता है। इसलिए अरुण यादव और जीतू पटवारी के नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चल रहे हैं। वैसे तो मालवा निमाड़ में सज्जन सिंह वर्मा, विजयलक्ष्मी साथी और बाला बच्चन भी ऐसे नेता है जो प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार हो सकते हैं लेकिन यह सभी कमलनाथ समर्थक है। कांग्रेस अध्यक्ष नहीं चाहेगी कि कमलनाथ समर्थक पीसीसी अध्यक्ष हो। कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष बने रहना चाहते हैं जिससे उनका दावा 2023 में मुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत हो सके।
अरुण यादव और जीतू पटवारी प्रमुख दावेदार
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष पद के लिए अरुण यादव सबसे प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं। अरुण यादव राहुल गांधी के नजदीकी है। ओबीसी वर्ग से आते हैं और पहले भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके है इस कारण से उनकी प्रदेश व्यापी पहचान है। अरुण यादव के मामले में एक ही समस्या है कि वे आक्रमक होकर राजनीति नहीं करते जिसकी इस समय कांग्रेस को बहुत आवश्यकता है। अरुण यादव की खासियत उनका सरल स्वभाव और मिलन सरिता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के दूसरे दावेदार जीतू पटवारी भी राहुल गांधी से नाता रखते हैं। वे भी ओबीसी समुदाय से आते हैं। जीतू पटवारी अत्यधिक गतिशील और तेजतर्रार है साथ ही पूरे अप्रेशन के साथ राजनीति करते हैं। उनकी यही आक्रामकता कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पसंद है। पार्टी इस समय विपक्ष में है. इसलिए उसे ऐसे नेता की आवश्यकता है जो युवा हो, गतिशील हो साथ ही भाजपा के खिलाफ़ आक्रामकता के साथ राजनीति करें। जीतू पटवारी ऐसे ही जुझारू नेता है। आने वाले दिनों में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में यदि किसी युवा को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी जाती है तो पार्टी को उसका अधिक लाभ मिलेगा। इसी दृष्टि से अरुण यादव और जीतू पटवारी के नाम सामने आए हैं। यह दोनों ही नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नजदीक हैं।