वॉइस ऑफ झाबुआ
अलीराजपुर जिला मुख्यालय में सट्टे का बोलबाला है, सट्टा चाहे कबूतर पर लगाया नंबर पर है तो सट्टा ही। इसके बुनियादी तौर तरीके नहीं बदलते सट्टेबाजों की नजर इतनी पैनी होती है कि उड़ते कबूतर की भी चाल पहचान लेते हैं और एक अपनी पुलिस है कि इतनी कमजोर है कि हाथ आए कबूतर को भी उड़ा देते है, क्या अलीराजपुर पुलिस का यह मानना है आप आपका खेल चलने दो हम आपके साथ हैं..??
दरअसल सट्टेबाजी का इतिहास सदियों पुराना है अलग-अलग जमाने में सट्टेबाज की अलग-अलग सकला हुआ करती। थी जैसे आज तितली भंवरा। अलीराजपुर में खुले तितली भंवरा का सट्टा खेला जा रहा है अलीराजपुर पुलिस कार्रवाई करने के बजाय इनका साथ दे रही है, क्या हफ्ता लेकर संरक्षण दे रही हे अलीराजपुर पुलिस..??
अलीराजपुर के मुख्य चौराहे पर एवं बस स्टैंड पर बेखौफ होकर सट्टेबाज अपनी दुकान चला रहे है, और जिला मुख्यालय की पुलिस तमाशा देख रही हे, अलीराजपुर एसपी हमेशा कहते हे अलीराजपुर में अवैध रूप कारोबार बंद करवाएंगे लेकिन उनके निवास के कुछ दूरी पर ही काला खेल चल रहा है ये कारोबार जिले में इस प्रकार संचालित होता हे जहां सट्टा चल रहा है वहां पर पुलिस की पहरेदारी दिन रात रहती है।