दिलीपसिंह भूरिया
आजादी के बाद झाबुआ और अलीराजपुर जिले में आजकल एक प्रतियोगिता जैसी एक प्रतिस्पर्धा चल रही है सोशल मीडिया में एक चलन चल रहा है गांव गली चौराहों पर नेता और कुछ युवा अपने आपको जनसेवक लिख कर पोस्ट कर रहे है परंतु आज तक स्वर्गीय सुश्री कलावती भूरिया जैसा जनसेविका आज तक दोनो ही जिलों में जनता को नही मिला ,कलावती भूरिया जेसी जनसेवक जिन्होंने झाबुआ में जिला पंचायत अध्यक्ष रहते झाबुआ जिले के असीम और असंभव विकाश कार्यों के लिए अपने जीवन के 28 सालो का बलिदान दिया जिससे जिला अलीराजपुर जिले से शासन की योजनाओं के क्रियान्वन में अग्रिम रहा शिक्षा, स्वास्थ्य ,सिंचाई सड़को उद्योग धंधों जेसे कामों को उनके कार्यकाल में बेहतरीन वातावरण प्रदान किया गया जैसा आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि नही दे पाया बात चाहे गरीब के कामों की हो चाहे अमीर सदेव तैयार रहने को तैयार रहती थी अलीराजपुर जिले में उनके अल्पसमय के कामों ने धूम मचा रखी थी जोबट की नगर की खद्देनुमा सड़क हो चाहे उदयगढ़ की भाभरा की , आंबुआ से काकड़बारी तक की सड़क ,बड़ी मालपुर से बरझर सड़क, बोरी से भाभरा और कठ्ठीवाड़ा जोबट से नानपुर हो या अलीराजपुर तक नई सड़को का जाल सा बिछा दिया जाने लगा था और कोरोना जैसी महामारी ने सच्ची जनसेविकां को झाबुआ और अलीराजपुर के कांग्रेस और आम लोगो से हमेशा हमेशा के लिए छीन लिया और आज तक उनके समकक्ष कोई भी नए राजनेता हो या पुराने राजनेताओं में उनका सामना करने की ताकत भी नही थी ।लेकिन आजकल एक फैशन सा हो गया है जनसेवक या जनसेविका लिखने का चलन सा बन गया है ।