रितुराज
प्रदेश के परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों की वेतन विसंगति एवं पदोन्नति संबंधित मांग विगत 25 वर्षों से शासकीय स्तर पर लंबित है जिसका विभाग द्वारा कोई नीराकरण नहीं किया गया है जिससे प्रदेश में परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षक को बेहतर निराशा एवं गंभीर आक्रोश है उपरोक्त मांगों को पूरा करने के लिए परियोजना अधिकारी संघ एवं पर्यवेक्षक संघ द्वारा विगत वर्षों में विभागीय मंत्री महोदय मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव महोदय प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग एवं आयुक्त महोदय को अनेक बार ज्ञापन दिया गया है लेकिन किसी भी स्तर पर उच्च मांगों को निराकरण नहीं किया गया है जिससे दोनों केडर के अधिकारियों में बेहतर निराशा एवं असंतोष है
यह सात मांगों को लेकर परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षको ने मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन सोफा
यह है सात मांगे
परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों ने अपनी मांगों के संबंध में शासन से निवेदन करते हुए संयुक्त मोर्चा का गठन किया परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक संघ की लंबित मुख्य मांगे
1. परियोजना अधिकारियों की ग्रेड पे ₹36 से बढ़ाकर ₹48 किया जावे वेतन में देश के अन्य राज्यों में सबसे कम एवं विकास खंड स्तरीय समागम अधिकारियों में सबसे कम रेट पर परियोजना अधिकारियों का है
पर्यवेक्षक का ग्रेड पे 2400 से बढ़ाकर ₹36 किया जाएगा वर्तमान में प्रवेश छक्का ग्रेड पर देश के अन्य राज्यों में सबसे कम है परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक ग्रेट बढ़ाकर 48 एवं ₹36 करने के निराकरण विभाग मंत्री से अनुमोदन प्रस्ताव अगस्त 2018 में वित्त मंत्रालय मैं लंबित है।
2. परियोजना अधिकारियों को सामान्य प्रशासन पुलिस व वित्त विभाग की तरह से चार स्तरीय (टाइम स्केल ) दिया जावै
परीक्षित का नियमित प्रमोशन कर रहे हैं अपने तरसना अधिकारियों के रिक्त पद भरे जावे वर्तमान में विगत 30 वर्षों से अनेक पर्यवेक्षक एक ही पद पर पदस्थ है पर्यवेक्षक को पूरे सेवाकाल में तीन प्रमोशन दिया जावे
3. परियोजना अधिकारियों को आहरण संवितरण अधिकार पूर्ण देखकर विकेंद्रीकरण किया जावे सन 2016 से आहरण सवितरण अधिकारों को बिना किसी औचित्य के केंद्र करण कर जिले अधिकारियों को दिए गए हैं इससे समाप्त कर पूर्ण परियोजना स्तर पर दिया जावे देश के अन्य सभी राज्यों में परियोजना अधिकारियों को डीडीओ दिया गया है एवं भारत सरकार की गाइड लाइन में भी परियोजना अधिकारियों को डीडीओ देने का प्रावधान है
4. प्रदेश में वर्ष 2007 से 2010 में व्यापम परीक्षा से संविदा पर्यवेक्षक की नियुक्ति की गई थी जिसके बाद से विभाग में संविदा पर्यवेक्षक की नियुक्ति बंद कर दी गई है अतः प्रदेश में शेष बचे संविदा पर्यवेक्षक को नियमित किया जावे क्योंकि यह सब व्यापम परीक्षा उत्तीर्ण है एवं 10 वर्ष से अधिक का विभागीय अनुभव भी प्राप्त है
5. विकासखंड सशक्तिकरण अधिकारी के पद पर नाम से प्रभारी शब्द हटाया जावे एवं विकासखंड सशक्तिकरण अधिकारियों के 313 स्वीकृत पदो को समप्रीत
करके उतनी ही राशि से हर जिले में सहायक संचालन ट्रेनिंग का पद सजित किया जावे इससे शासन पर कोई भी वित्तीयभार नहीं आएगा एवं प्रमोशन चेनल खुलेगा
6. वर्ष 2000 के बाद के सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों विकासखंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी की परिवीक्षा अवधि समाप्त की जावे
7. सुरक्षित को प्रतिमाह भ्रमण के आधार पर नियमित यात्रा भत्ता प्रदान किया जावे