@voice ऑफ झाबुआ
शासन के निर्देश पर सहकारी संस्थाओं में समितियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सहकारिता विभाग ने ऐसी संस्थाओं में पिछले कई महिनों से प्रशासक नियुक्त कर रखे है। इसके पीछे शासन की यह मंशा है कि उन संस्थाओं में पहुंचने वाले किसी भी हितग्राही के कार्य में रूकावट ना आये और संस्थाओं में पहुुंचने वाले समस्त हितग्राही संस्था से जुडी सरकार की योजनाओं से लाभांवित हो, लेकिन जब ऐसी संस्थाओं में नियुक्त प्रशासक ही हितग्राही मूलक योजनाओं के संचालन में बांधा उत्पन्न करने लगे तो जिले में सहकारीता आंदोलन किस दिशा में जायेगा, यह अंदाजा लगाना मुश्किल नही है। जिला मुख्यालय की नाक की नीचे करीब पांच सहकारी संस्थाओं में प्रशासन की और से नियुक्त संस्था प्रशासक अपने क्रिया कलापों से सहकारिता के उदेश्यों को पलिता लगाने में जुटा है। इन संस्थाओं में नियुक्त प्रशासक संस्था कार्यो में बाधा उत्पन्न करने के साथ ही राजनैतिक संरक्षण के चलते संस्था प्रबंधकों को परेशान करते हुए धमकियां तक दे रहा है। प्रशासक की कार्य शैली से परेशान आदिम जाति सेवा सह. संस्था मर्या झाबुआ, देवझिरी, कयडावद बडी, ढेकल बडी एवं पिटोल बडी संस्था के प्रबंधकों ने एकजुट होकर एक शिकायत आवेदन उपायुक्त सहकारिता एवं जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महाप्रबंधक को सौपकर वर्तमान में नियुक्त प्रशासक अशोक जैन को हटाकर अन्य प्रशासक नियुक्त करने की मांग की है, ताकि वे संस्था के कार्य सुचारू रूप से संचालित कर सके।
420 धारा के तहत कार्यवाही की धमकी
उक्त पांच संस्था प्रबंधकों द्वारा सौपे गये आवेदन में बताया कि नियुक्त प्रशासक अशोक जैन सभी कार्य बाधित करते है। जब भी किसी काम को लेकर जैन से उपायुक्त कार्यालय में संपर्क किया जाता है, तो नही मिलते है, घर पर कर्मचारी जाते है तब घर पर होने के बाद भी मना करवा देते है। फोन पर संपर्क करने पर कभी छुट्टी पर, कभी बाहर जाना तो कभी फिल्ड में होना बताते है। जिससे संस्था के भू अभिलेख का रिचार्ज करवाना, सीसीएल व्यापार आदि के चेक जारी करने, कर्मचारियों का वेतन भुगतान समय पर करने, पशु पालन आदि ऋण वितरण समय पर नही होने के कारण प्रबंधक स्वयं की जवाबदारी पर चेक जारी कर संस्था हित में शाखा प्रबंधक से प्रशासक हस्ताक्षर करवाने का आश्वासन देकर काम करवा लेते है किंतु प्रशासक लिखित में प्रबंधक और शाखा प्रबंधकों को सही कार्य होने के बाद भी 420 की धारा में कार्यवाही करने के पत्र जारी करते है और राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होने से मौखिक भी कई प्रकार की धमकियां देते है, जिसके कारण संस्था प्रबंधकों को कार्य करने में कई परेशानियांे का सामना करना पड रहा है।
नये प्रशासक नियुक्त करने की मांग
शिकायत पत्र में संस्था प्रबंधकों ने प्रशासक की कार्यशैली पर सवाल खडे करते हुए बताया कि आगामी दिनों में वसूली, भू अभिलेख, डावल ऋण वितरण कार्यवाही, पुस्तिका साख पत्रक आदि महत्वपूर्ण कार्य होना है, जिसमें काफी परेशानियों का सामना करना पड सकता हैं साथ ही संस्था का कार्य बाधित होकर संस्था का अहित होने की आशंका को देखते हुए प्रशासक अशोक जैन को हटाकर अन्य प्रशासक नियुक्त किया जाय ताकि संस्थाओं के कार्य सुचारू रूप से संचालित हो सके। संस्था प्रबंधकों ने आगाह भी किया की जैन के नही हटाये जाने व कार्य बाधित होने की स्थिति में संस्था प्रबंधकों व कर्मचारियों की कोई जवाबदारी नही होगी। इस शिकायत पत्र की एक प्रति आयुक्त सहकारिता विभाग भोपाल, संयुक्त आयुक्त सहकारिता विभाग इंदौर को भी प्रषित की है। अब देखना यह है कि वरिष्ठ अधिकारी संस्था का हित देखते है या आगे भी संस्थाओं को कुप्रबंधन के शिकार के लिए छोड देगे ?
पार्टी और छवि पर पडेगा असर
सहकारिता में अंदर की खबर रखने वाले भाई लोग बताते है कि सत्ताधारी दल के एक बडे नेता का संरक्षण प्राप्त होने से उक्त संस्थाओं में पदस्थ प्रशासक अपने आपकों सहकारिता का बडा अधिकारी समझता है। भाई लोग बताते है कि उसके इस व्यवहार से कई विभागीय कर्मचारी भी परेशान है, लेकिन नेता के संरक्षण के चलते सभी जहर का घुट पी रहे है। उनका कहना है कि संरक्षण देने वाले नेताजी को भी इस दिशा में ध्यान देना चाहिये कि कही उनके साथ रहने वाले लोग उनके नाम का उपयोग कर किसी को परेशान तो नही कर रहे है। यदी इन संकेतों के बाद भी नेताजी निंद्रा से नही जागते है तो इसका असर पार्टी और उनकी छवि पर पडेगा इससे इंकार नही किया जा सकता है।
… अगले अंक में दुसरे किस्से लेकर फिर आयेगे पढते रहिये वाइस आफ झाबुआ