सालों पुरानी परंपरा को निभाते आ रहा सिर्वी समाज

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वॉइस ऑफ झाबुआ

 सालों पुरानी परंपरा को निभाते आ रही सिर्वी समाज नगर के सिर्वी समाज भी ढूंढ़ का कार्यक्रम आयोजन करते आ रही है। ये उत्सव डुलेटी के दिन रात्रि में मनाया जाता है।शुक्रवार को रात्रि करीब 9 बजे से चमठा चौक पर सभी समाजजन एकत्रित हुए और ढूंढ का कार्यक्रम की शुरुआत की गई। जिसमें समाज की गैर एक प्रकार से बधाई गीत गाते हुए जाती है और बच्चे को उसका मामा गोद मे लेकर बैठता है और उस गेर पर डंडो की बरसात करती है और परम्परा की गीत गाते है। जिसका बचाव उसका मामा करता है। ततपश्चात उस बालक या बालिका की दीर्घायु कामना करते हुए गेर उसे आशीर्वाद देती है। बच्चों के परिजन भोज का आयोजन करके उत्साह और उमंग से होली मानते है।

वही साथ ही डांडिया नृत्य की प्रस्तुति के साथ ही समाज के बच्चें से लेकर वृद्धजनों ने इस उत्सव में भाग लेकर पूरा आनंद लिया। वहीं इस वर्ष भी सिर्वी समाज मे भी विशेष रूप से इस परंपरा का निर्वहन किया।
जिसमें इशानी पिता राजू काग (जितेंद्र गेहलोत), लेखिका पिता लोकेश परमार(विनोद सोलंकी), युवानी पिता अशोक चोयल(लक्ष काग), चवीक पिता संजय परमार(अर्जुन पटेल), चार्वी पिता हर्ष गेहलोत(शुभम परमार), दक्ष पिता संदीप काग(विनोद मुलेवा), हितीक्षा पिता विनोद मुलेवा(संजय चौधरी), इवंशी पिता मूलचंद गेहलोत(जीवन परमार), हानि सिंह पिता गुजुलन्न राठौड़ (नरेंद्र सिंह), नन्नू पिता बंटी(उपेंद्र गेहलोत), सुमित पिता नीलेश काग(नितेश हामड), अदिति पिता संजय भायल(रूपेश चोयल), युवी पिता चेतन हामड (रोहित परमार), केशवी पिता जितेंद्र गेहलोत(कैलाश लछेटा), प्रिंस पिता कांतिलाल सोलंकी(कमलेश परमार), चितांश पिता अनिल गेहलोत(लोकेश परमार), कनिका पिता नीलेश लछेटा (राहुल गेहलोत), चार्वी पिता दिलीप सोलंकी(रोहित परमार), सृष्टि पिता अंकित सेंच( रोहित वर्फा), प्योम संतोष वर्फा (अभिषेक मुलेवा) का ढूंढ किया गया।

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