@वॉइस ऑफ झाबुआ
जल संकट से बचने के लिए केंद्र सरकार हो या प्रदेश सरकार हो या अन्य सामाजिक संगठन हो जल संरक्षण को लेकर कई प्रयास करती है ताकि जल का संरक्षण हो सके परंतु लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई कही जाने वाली बामनिया पंचायत में आजकल अनियमिता देखी जा रही है जो रहवासियों को संकट में डाल सकती हे,मेला ग्राउंड में स्थित पानी की टंकी जो लगभग पंद्रह वर्ष पुरानी है,जिससे पूरे बामनिया में जल का वितरण किया जाता है,टंकी का ओवरफ्लो पाइप पंचायत के मुलाजिमों ने बंद कर रखा है,जिसके कारण टंकी में पानी क्षमता से अधिक भरने के बाद ऊपर ढक्कन के माध्यम से बाहर निकलता रहता है,वही स्थानीय लोगो का कहना हे की ऐसा पहली बार नही हुआ हमेशा ही होता हे,स्थानीय स्तर के लोगो का कहना हे की हमने कई बार बोला परंतु किसी ने भी इस और ध्यान नही दिया।
पांच दिन में आता हे नल में जल,तो गर्मी में क्या होगा?
वही दूसरी और बामनिया में स्थानीय लोगो का कहना है की ग्राम पंचायत द्वारा पांच दिन ने जल वितरण होता है ऐसे में बामनिया पंचायत के जिम्मेदार व्यक्ति आने वाली भीषण गर्मी में कितने दिन ने रहवासियों को जल देंगे ये तो उन्ही के निष्क्रियता से साफ दिखाई दे रहा है,एक बात निश्चित है की पंचायत के जिम्मेदार इस बार गर्मी में रहवासियों को पानी के लिए संकट जरूर पैदा करेगी।
पंचायत की लापरवाही कही भारी न पड़ जाए…
लगभग पंद्रह वर्षों पुरानी टंकी क्षमता से अधिक जिम्मेदारो द्वारा पानी से भर जाती है वही पानी अत्यधिक तेजी से गिरने के चलते टंकी के आस पास की जमीन गीली होने के कारण कही टंकी गिर नही जाए ऐसे में भी स्थानीय रहवासियों का भय बना रहता है।
पंचायत कर्मचारी के सामने पानी गिर रहा था
वर्षो पुरानी टंकी से ओवरफ्लो के रूप में गिर रहा पानी का नजारा स्वयं बामनिया पंचायत के नुमाइंदा देख रहा था,स्थानीय रहवासी का ये भी कहना था की अगर पंचायत कर्मी वही मौजूद था तो टंकी के भर जाने पर बंद क्यों नही किया?आखिर ऐसे निष्क्रिय कर्मी को पंचायत ने किस आधार पर रखा जो जल को बचा नही सकते हुए गिरते हुए पानी को देख रहा था।