@वॉइस ऑफ झाबुआ
गांव हो या शहर हर कोई रोजगार की तलास में भटक ही रहा है,परंतु गांव में ही बेरोजगार को दुकान के लिए भटकना पड़ता है क्योंकि स्थानीय पंचायत हो या नगर पालिका हो वो स्थानीय को नही देते हुए किसी बाहरी को रोजगार के लिए दुकान या घूमटी देता है जिसके बदले में बड़ी रकम भी देना पड़ती है,ऐसा ही एक मामला झाबुआ जिले की बड़ी तेहसील के बड़ी पंचायत का मामला सामने आया है,जिसमे पशु चिकित्सालय बाउंड्री हे जहां पर रह रहे एक बुजुर्ग जिसका गांव में घर नहीं ओर खेती नहीं है ऐसे में एक असहाय बुजुर्ग ने गांव के सरपंच साहब से हाथ जोड़कर अपनी आजीविका के लिए यहां गुमटी रखने की बात कहते यहां तक बोल दिया के जब आप बोलोगे तब मैं हटा लूंगा परंतु सत्ता के नशे में चूर सरपंच साहब और उपसरपंच ने कानून का पाठ पढ़ाते हुए बुजुर्गों को भगा दिया और बोला के इस प्रकार के अवैध काम यहां नहीं चलते हैं और कुछ दिनों बाद ही भाजपा सरपंच साहब की आंखों के सामने वहां पर रातो रात बड़ी लंबी चौड़ी गुमटी बनकर तैयार हो गई हे के साथ ही नगर में चर्चा भी हो रही हे के उक्त घूमटी के लिए सत्तर हजार रुपए बतौर सरपंच साहब और पंचायत को दिए है,पंचायत में बैठे भाजपा सरपंच और उपसरपंच द्वारा गांव के बुजुर्ग को घूमटी की परमिशन नही देते हुए किसी बाहरी को देना भाजपा पंचायत की कथनी और करनी में अंतर नजर आ रहा है…..आओ इसका पता लगाए?आखिर कोन हे वो भाजपा सरपंच और पंचायत?जिले की बड़ी पंचायत के बड़े मामले अगले अंक में…