परिवेश पटेल रायपुरिया
इस वर्ष भी गल एवं चुल मेला का आयोजन किया गया होली के अगले दिन धुलेटी के दिन दोपहर को यह किया जाता है जहां दर्जनों मन्नत धारी अपनी मन्नत उतारते हैं गल में घूम कर मन्नत धारी गल पर चार खंबो के बीस फिट के एक खंबा बीच में होता उसके उपर एक मचान उस खबा पर मन्नत धारी व्यक्ति को बांस की एक लकड़ी पर उल्टा बांधकर घुमाया जाता है मन्नत धारी को सोहन मुनिया निवासी बनी से पूछा गया कि आपने क्या मन्नत ली थी तो आप यहां पर उतारने आए हो उसने बताया कि मेरा बच्चा बचपन से बोल नहीं पाता था अपने किसी परिचित ने मुझे बताया कि गल बाबजी की मन्नत ले लो मैंने उसी दिन स्नान कर मन्नत ले ली उसके बाद 8 दिन बाद मेरा बच्चा अपने आप बोलने लग गया तो आज मैं मन्नत उतारने आया हूं मन्नत भी काफी कठिन रहती है 8 दिनों तक शरीर पर हल्दी लगाकर रखना पड़ती है बिना चप्पल के रहना पड़ता है हाथों में नारियल कांच कंगी शरीर पर लाल कपड़ा लिपटा रहता है 8 दिन तक महिलाओ के हाथो से बनाया हुआ खाना नहीं खाया जाता अपने हाथों से खाना बना कर ग्रहण किया जाता है एवं जहां पर भगोरिया मेला रहता है वहां पर जाना पड़ता है ऐसा ही चुल माता की मन्नत भी महिलाएं दहकते हुए अंगारों पर चलती है परिवार पर कोई मुसीबत आती है या फिर लड़का लड़की बिमारी हो जाते एवं किसी के लड़का लड़की नहीं होते हैं तो वह चुलमाता की मन्नत लेते है जब मां मन्नत पूरी करती है तो उसे उतारने के लिए पहुंचती है ऐसा ही शांति बाई पाटीदार ने अपनी लड़की के बच्चा नहीं हो रहा था तो उन्होंने ने चुल पर चलने की मन्नत ली थी आज वह उस बच्चे के साथ दहकते हुए अंगारों पर चलकर मन्नत उतारी यह चमत्कार देखने के लिए ग्रामीणों का हुजूम उमड पड़ता है हजारों की संख्या में पहुंचते हैं अपनी आंखों से यह चमत्कार देखते हैं मन्नत धारियों को खरोच तक नहीं आती है सरपंच प्रतिनिधि नंदलाल निनामा ने गल में घूम कर गांव की खुशहाली की कामना की ग्राम पंचायत द्वारा बाहर से आए हुए ग्रामीणों के लिए पानी की व्यवस्था टेंट की व्यवस्था की गई थी वहीं पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा की खास विशेषता यह है कि आज के दिन वाहन बंद रहते हैं उसके बाद भी हजारों की संख्या में यहां पर पहुंचकर गल मेले का आनंद लेते हैं गल के आयोजन करने वाले पुजारी अमरसिंह राणा बताते हैं कि यह आयोजन लगभग 50 वर्ष से होता आ रहा है पहले हमारे गांव घोड़ाथल में आयोजित होता था लेकिन यहां के पूर्व सरपंच ठाकुर डूंगर सिंह राठौर ने गल मेले के लिए जगह स्थापित करने के लिए दी तभी से यह पर आयोजित होता गई उसके बाद से यहीं पर आयोजन होता है।