पश्चिमी मध्यप्रदेश के भीली विस्तार में प्रसिद्ध भौंगरिया-भगोरिया (गुलालिया) हाट -बाजारों का हुआ आगाज़ मादल की थाप व कुराटियौ के साथ धूम धाम से मनाया भगोरिया

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पश्चिमी मध्यप्रदेश के भीली विस्तार में प्रसिद्ध भौंगरिया-भगोरिया (गुलालिया) हाट -बाजारों का हुआ आगाज़

मादल की थाप व कुराटियौ के साथ धूम धाम से मनाया भगोरिया

करवड़ से विनोद शर्मा

आगामी होली पर्व के तारतम्य में आज दिनांक 01मार्च 2023 को झाबुआ का विश्व प्रसिद्ध भौंगरिया -भगोरिया(गुलालिया) हाट का आरम्भ जिले के पूर्वी छोर के माही क्षेत्र में बसे करवड़ गाँव से हुआ ।

आदिवासी संस्कृति के वाहक भील समुदाय के युवाओं ने ढोल- माँदल थाली के मधुर सुरीले संगीत एवम् पारम्परिक परिधानों के साथ नगर में मनमोहक नृत्य करते हुऐ अपनी संस्कृति के निर्वाहन के साथ -साथ नगर के व्यापारिक प्रतिष्ठानों कि शोभा बढ़ा दी ।

इस अवसर पर ग्राम पंचायत करवड़ के सरपंच विकास बाबुलाल गामड़ ने भगोरिया हाट में पधारे सामाजिक कार्यकर्ताओं ओर ढोल मंडली के साथियों का साफा बाँधकर स्वागत किया 

तो अब भगौरिया के रौचक तथ्यों को भी जानें 

पश्चिमी मध्यप्रदेश का मालवा / निमाड़ क्षैत्र आदिवासी बाहुल्य होकर भीली सांस्कृतिक लोक परम्पराओं का आदिकाल से वाहक रहा है ।भारत देश के वृहद क्षैत्र में बसे भील समुदाय कि मातृपितृ भीली संस्कृति का केन्द्र बिन्दू अविभाजित झाबुआ जिले का सम्पूर्ण क्षैत्र रहा है।  

भारतीय आदिवासी संस्कृति के वाहक भील समुदाय कि संस्कृति में आदिकाल से लोकपर्वों को अपनी संस्कृति के अनुरूप निराले अंदाज़ में मनाने कि परम्परा रही है । 

लोकपर्व का महत्व पारम्परिक लोकनृत्यों के साथ जुड़कर ओर बढ़ जाता है । भीली संस्कृति में पारम्परिक नृत्य करने की अनूठी परम्परा लोकपर्वों के निर्वाहन के साथ भारतीय संस्कृति को गौरवमयी ओर पर्व को आनंदमयी बना देता है ।

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