गैरों और गौरो की संस्कृति को छोड़कर मूल संस्कृति में लोटना होगा: राजेश डावर

102

 

झाबुआ। चन्द्रशेखर आजाद शासकीय महाविद्यालय झाबुआ परिसर मे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों की योगदान विषय पर संगोष्ठी संपन्न हुई है, जिसमें कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

झाबुआ महाविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई और इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में राजेश डावर भीमा नायक वनांचल सेवा संस्था के प्रदेश उपाध्यक्ष ने महापुरुषों के अनेक नाम और उनके दायित्व के साथ ही कार्य का उद्बोधन दिया और इतिहास में इन सारे महापुरुषों के नाम अंकित नहीं होने के बारे में सभी को जानकारी से अवगत करवाते हुए कहा है कि कोई जनजाति समाज के महापुरुष जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

ऐसी कई घटनाएं हुई जो जनजाति समाज को ऊपर नहीं आने देने के चलते उनके नाम इतिहास के पन्नों पर अंकित नहीं है। उनका जीवन परिचय कहीं से कहीं तक उल्लेख नहीं किया गया, इस देश के सारे महापुरुष हम सबके रहे है, लेकिन जिन लोगों ने देश के समाज पर आक्रमण किया है उन आक्रमणकर्ताओं का नाम और जीवन परिचय इतिहास के पन्नों पर अंकित किया गया। लेकिन हमारे सर्व समाज के योद्धाओं का नाम कहीं से कहीं तक उल्लेख नहीं होना बताया।

उसी को लेकर यह कार्यशाला आयोजित की जा रही ताकि हमारे जनजातीयों का इतिहास सामने आ सके।

मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन डाॅ हर्ष जी चौहान अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली ने कहां की जनजाति स्वतंत्रता वीरो के साथ इतिहासकारों ने अन्याय किया है, स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का महत्वपूर्ण योगदान होना उन्होंने बताया लेकिन उस समय के इतिहासकार जो कि अंग्रेज शासन काल में उनके गुलाम बनकर काम करते थे जिसके कारण कोई महापुरुषों का नाम तक आज जनजाति समाज नहीं जान पा रहा उसका मुख्य कारण है जनजाति नायकों के साथ अन्याय हुआ।

उनके सौर्य, त्याग व बलिदान को गुमनामी कर रखना बताया है। उन्होंने अनेक महापुरुषों के नाम से भी स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग की बात की है।

विशेष अतिथि श्रीमती डाॅ रेणु जैन कुलपति देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर ने कहा कि ऐसे कोई महापुरुष जिन्होंने यहां पर जन्म लेकर अपने समाज और धर्म के साथ ही देश को आजाद करने में प्राण गवाया है उनके इतिहास के पन्नों पर आज नाम नहीं है लेकिन अब उनका गुणगान होने लगा है और हम सब को उनके जीवन को लिखने की जरूरत बताया है।

इस मौके पर मंचासीन अतिथि जनभागीदारी समिति अध्यक्ष खेमसिंह जमरा,प्राचार्य डाॅ जे.सी. सिन्हा, डाॅ गोपाल भूरिया कार्यशाला संयोजक ने संचालन किया। प्रशासनिक अधिकारी डाॅ रवीन्द्र सिंह ने आभार व्यक्त किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here