न कोई मान… न कोई सम्मान… सिर्फ हुआ है कलमकारों का अपमान… बडा शर्मनाक था ये दृष्य ऐसा लग रहा था कि किसी सामान की सेल लगी हो… और उसके लिए लुट मची हो…. जल्दी करों नही तो सामान खत्म हो जायेगा… आपने भी जरूर देखा होगा ये दृष्य… जी हां हम बात कर रहे… एक ही जिले में आयोजित हुए दो कार्यक्रमों की… दुसरा कार्यक्रम सिर्फ इसलिये आयोजित किया गया… समाज में अच्छी छवि रखने वाले… और पत्रकारिता को अपना धर्म मानने वालों को नीचा दिखाया जा सके। बस यही थी मंषा कार्यक्रम आयोजित करने की।
जनचर्चा है कि जो जिले का नही वरन राष्ट्रीय स्तरीय के संगठन होने का दावा करता है मगर उसकी ही कर्मभूमि पर कलमकारों को दो फाड है। एक ही दिन दो कार्यक्रमों का आयोजन होना वो भी इसलिए की दुसरे संगठन को नीचे दिखाने के चक्कर में इस राष्ट्रीय स्तर के संगठन के अपनी किरकिरी करवा ली। बडी बडी बाते हुई मगर ये क्या खुद की कर्मभूमि पर ही निमंत्रण में बताये अनुसार जिले के अधिकारी ही नही पहुंचे मगर पहले कार्यक्रम में जरूर पहुंचे और कलमकारों का सम्मान करने के बाद भोजन भी किया… अब क्या रहा इतनी बडी बडी बातों का…. ये तो बडी शर्म की बात है कि इतने बडे संगठन के कार्यक्रम में जिले के अधिकारी ही नही पहुंचेकृऔर हां… आपके साथ जिले के ही कलमकार नही है तो क्या मतलब ऐसे राष्ट्रीय संगठन का… जरो सोचियें… कलमकारों का सम्मान कार्यक्रम है उन्हे बडे सम्मान के साथ सम्मानित करना चाहिए मगर इस कार्यक्रम में क्या देखने को मिला वहां पर आये सभी कमलकारों के लिए सोचनिय बात है… क्या कलमकारों का स्तर इतना गिर गया है कि उन्हे लाईन लगानी पडे… क्या एक घडी और भोजन का मोहताज है कलमकार…? कलमकारों को युं ही नही चैथा स्तभ कहा जाता है…! सोचो और समझों मेरे कलमकार भाईयों… अपमान चाहिए या सम्मान….! सम्मान हो तो ऐसा हो की लगे की हां सम्मान हुआ है… मगर… ऐसे सम्मान के लिए चौथे स्तम्भ को बदनाम मत करों …. अब इतना तो आप भी समझते हो…. !
जब मंच पर बिठाकर… बोले इन्हें पीछे बिठाओ…
एक वाक्या ऐसा भी हुआ जब कुछ बाहर से आये सम्मानीय पत्रकार और पदाधिकारियो को पहले तो मंच पर बुलाया और आगे की पंक्ति में बिठाया उनके कुछ देर बैठने के बाद ठीक्रम ने मंच से माइक सम्भाला ओर बोला कि मंच में आगे की पंक्ति में बैठे सभी लोग उठ जाए वे पीछे बैठे ……अगर आपको उन्हें वहां बिठाना नही था तो। बैठाया ही क्यो था उन्होंने थोड़ी आकर बोला था कि हमे मंच पर बैठाओ आखिर इस तरह से वरिष्ठ पत्रकारों का अपमान करना कहा तक उचित है ……अब जाते जाते एक ओर बात बता रिया हु ये वही ठीक्रम है जो कार्यक्रम आने पर सबको मीठा मीठा बोलकर अपने घापे मे ले लेता है और कार्यक्रम करवा लेता है और पूरा श्रेय खुद ले लेता है जब काम हो जाता है तो साथ वाले संगठन प्रमुख को टारगेट बनवाकर बाहर फेंक देता है …….कुछ ऐसाइज हाल में हुए कार्यक्रम में भी होगा ……तो देर किस बात की …….अभी इंतज़ार कीजिए …….इस ठीकरम के सारे काले कारनामे खुलतेइज जाएंगे अभी तो बस शुरआत है ।