प्राचीन काल से जनजाति समाज हिंदू था उसका उदाहरण है मां शबरी भीलनी:- कानुराम महाराज

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स्थानीय उत्कृष्ट स्कूल मैदान पर जनजाति विकास मंच द्वारा मां शबरी भीलनी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। क्षेत्र के कई धर्म प्रेमी एवं मां शबरी भीलनी के अनुयाई ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया एवं भजन व लोकगीतों के साथ भव्य धर्म सभा एवं शोभायात्रा निकाली गई पेटलावद नगर में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर शोभा यात्रा का भव्य रुप से स्वागत किया गया तथा शोभायात्रा में शामिल धर्म प्रेमी भक्तों का उत्साह वर्धन किया गया।

पेटलावद क्षेत्र के अनेकों बड़े बुजुर्ग लोगों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

कार्यक्रम को सर्वप्रथम परम् पेछमज्य संत श्री कानुराम जी महाराज सेमलिया धाम ने संबोधित किया और अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हमारा जनजाति समाज प्राचीन काल से ही नहीं अपितु आदिकाल से सनातन धर्म को मानता आया है और हमेशा मानता आएगा। मां शबरी का जीवन प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने आगे कहा कि मां शबरी चाहती तो अपने पिताजी के राजपाट में मौज करती किंतु एक बकरे का बलिदान देखकर उन्होंने भक्ति मार्ग चुना और उन्होंने महसूस किया कि जीव हत्या महापाप है, इसलिए उन्होंने मतंग ऋषि को अपना गुरु बना कर भक्ति मार्ग को चुना और भगवान राम जैसे को प्राप्त करने में सफल हुई हम उस समाज से हैं जिसने कभी भी स्वाभिमान नहीं बेचा।

तत्पश्चात ब्रह्मचारी श्री मोहनसिंह डामर ने सभा को संबोधित किया और कहा कि माता शबरी का जीवन हमें संदेश दिया कि भक्ति मार्ग को संयम और धैर्य के साथ कैसे अपनाया जाए और हमें यह भी संदेश मिलता है कि शबरी माता भेदभाव मिटाने का प्रतीक के रूप में भी है।

अंत में धर्म सभा के मुख्य वक्ता शहीद समरसता मिशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री मोहन नारायण जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य से धर्म सभा में उपस्थित धर्म प्रेमी लोगों का मनमोहित किया उन्होंने अपने वक्तव्य में यह कहा कि मां शबरी सिर्फ भक्ति मार्ग का संदेश ही नहीं देती, बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज को एक धागे में पिरोए रखने का संदेश भी देती है जो कि जिस तरीके से गुरु मतंग ऋषि के आशीर्वचनों से और उनके मार्ग वचनों से जिस तरह से मां शबरी भीलनी ने धैर्य रखा और संयम रखा जिससे भगवान राम खुद मां शबरी को दर्शन देने के लिए उनके कुटिया में गए और दर्शन दिए।
आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विदेशी षड्यंत्र और साजिशों के तहत हिंदू समाज में कई ऐसे संगठन है जो लगातार समाज में दरार गिराने का काम कर रहे हैं लेकिन जब तक हिंदू समाज का हर एक सदस्य जागृत है तब तक उनकी दाल गलने वाली नहीं है इसलिए हिंदू समाज को जागृत करके और मां शबरी, टंट्या भील, बिरसा मुंडा जैसे अनेकों वीर महापुरुष हमारे जनजाति समाज में हुए हैं जिन्होंने हमें नई ऊर्जा, उत्साह और स्वाभिमान के साथ जीने की प्रेरणा दी है।

इस अवसर पर मंचासीन कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ समाजसेवी गंगाराम जी परमार, रणजीत भगत, रमणनाथ भगत, पेटलावद खंड संयोजक सुरसिंह मीणा, रायपुरिया खण्ड संयोजक कैलाश भूरिया एवं धर्मसभा में संघ के जिला कार्यवाह आकाश चौहान, सह जिला कार्यवाह कैलाश मालीवाड़ खंड कार्यवाह संदीप भायल सोहन डामोर, कांतिलाल डामर, सुरेश अरड, मुकेश निनामा, प्रकाश पारगी, मांगूसिंह कटारा, सुरेंद्रसिंह राणा कमलेश गरवाल, पप्पू डामर, कैलाश चारेल, कैलाश डामर, संतोष मेडा, विक्रम गरवाल, भारत अरड, सारंगी मंडल अध्यक्ष सुखराम मोरी, रायपुरिया मंडल अध्यक्ष शांतिलाल मुणिया आदि अन्य कार्यकर्ता ने उत्साह पूर्वक धूमधाम से मां शबरी की जयंती मनाई गई।मंचासीन कार्यक्रम का सफल संचालन अमृतलाल भवर ने किया।सभी मंचासीन अतिथियों एवं सहभागी बने धर्म प्रेमी बंधु गणों का आभार तहसील प्रभारी गौरसिंह कटारा ने माना।

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