अंग्रजो के समय से इसी भवन में लग रही तहसील

606

 

 

पेटलावाद। झाबुआ जिले की सबसे बडी तहसील के दर्जा प्राप्त पेटलावाद को जिले कि आर्थिक और राजनैतिक राजधानी भी माना जाता है।

नवीन भवन बनाने की तैयारी, जमीन की तलाश जारी

अब शासन ने पेटलावाद के तहसील भवन को नवनिर्माण करने के लिये 5.5 करोड़ का ई टेंडर किया है, वहीं स्थानीय प्रशासन नवीन भवन के लिये भूमि की तलाश कर रहा है, सूत्रों की माने तो खोरिया क्षेत्र जहां नवीन एसडीएम भवन बन रहा है , बरडिया , बरवेट रोड सिविल अस्पताल के आसपास की भूमियों का सर्वे किया गया वही उड़ती खबरों के अनुसार कुछ लोग भवन के लिये रायपुरिया क्षेत्र में भी भूमि की तलाश करने की सूचनाये चल रही है। लेकिन अब तक उपयुक्त भूमि तय नही हुई है । ओर राजस्व के कर्मचारी ओर अधिकारी नवीन भवन के लिये जमीन की तलाश ओर सर्वे कर रहे है ।

अग्रेजो ने बनाया था भवन

जानकारो की माने तो नगर के गांधी चौक स्थित मुख्य बाजार में तहसील भवन बना हुआ है जो पुरातन निर्माणकला कि नायाब कलाकृति है , जिसे वर्ष 1867 में जबकि राजशाही रियासत का समय था और अंग्रेजी शाशन काल मे इंग्लिश कानून के अनुसार अंग्रजो ने अमीन तहसीलदार कार्यालय के रूप में इस भवन को बनाया गया था वही तहसील भवन पर वर्ष 1904 अंकित भी है जो इस भवन के वर्षो पुराने होने का प्रमाण है ।

तब से अब तक 119 सालों से लग रही तहसील

स्वत्रंता के बाद वर्ष 1947 में भी इस जगह तहसील न्यायालय को सुचारू रखते हुए इसी स्थान पर स्टेट समय मे हनुमानगढ़ में लग रही लिंक कोर्ट भी इस भवन में संचालित होती रही और सन 1997 के आसपास तक इस जगह कोर्ट और तहसीलदार कार्यालय लगते रहे है।

22 वे एसडीएम के रूप में चल रहा सुचारू कार्यालय

ततपश्चात कोर्ट के थांदला रोड़ के नवीन भवन में शिफ्ट होने के बाद अप्रैल माह मे वर्ष 1998 में पेटलावद को अनुभाग का दर्जा मिलने के बाद से निरन्तर एसडीएम ओर तहसील कार्यालय इसी भवन में लगते रहे है और वर्तमान एसडीएम अनिल कुमार राठौर 22 वे एसडीएम के रूप में इसी तहसील भवन में काम कर रहे है।

अन्य कार्यालय भी है यही

यहां तक कि तत्समय बंदियों को रखने के लिये बन्दीगृह जेल भी बनी हुई थी , वर्ष 1998 में तहसील को अनुविभाग का दर्जा मिलने के बाद ओर वर्ष में में कोर्ट का नवीन भवन थांदला रोड पर बनने के बाद ओर कोर्ट स्थान्तरित होने के बाद से इस भवन में अनुविभागीय, तहसीलदार, उपपंजीयक कार्यालय, कोषालय, ओर फूड विभाग के कार्यालय लग रहे है इस तरह से आजादी के पूर्व से 119 वर्षो ओर आजादी के बाद 76 वर्षो से इस भवन में तहसीलदार कार्यालय लगता रहा है।

यही बने नया भवन जनभावना

जहाँ पर प्रतिदिन पूरे क्षेत्र के लोग दूरदराज से अपने कार्यो के लिये आते है अब इस भवन को स्थानांतरित करने की बजाय यही पर नवीन भवन बनाने की मंशा आमजन जाहिर कर रही है ।

इन विभागों के भवन है आसपास में

वर्तमान परिप्रेक्ष्य कि बात करे तो तहसील भवन के आसपास ही पुरे अनुभाग के कार्यालय जैसे जनपद कार्यालय, कृषि विभाग, जल संसाधन, वन विभाग, बीइओ, लोकसेवाकेन्द्र, उपपंजीयक कार्यालय, के साथ ही कुछ ही दूरी पर नगरपरिषद, महिला एवं बालविकास विभाग, मार्केटिंग सोसायटी, पुलिस थाना, आदिमजाति सेवा सहकारी संस्था ओर एसबीआई बैंक के भवन बने हुए है ।

एक हि परिसर में होते है कामकाज मिलती है जनता को सहूलियत

जिनमे भी प्रतिदिन हजारों लोग अपने कामो के लिये आते है । इस तरह से एक ही क्षेत्र परिषर में जनता को सभी सारे सरकारी कामकाज बिना किसी दौड़ भाग या अतिरिक्त खर्च के पूरे करने में सहूलियत मिलती है।

कइयों की रोजी रोटी, मिलता रोजगार रखे इनका भी ख्याल

इसके अलावा इन कार्यालयो के आसपास क़ई होटले, फोटोकॉपी, स्टेशनरी, टाइपिंग, रजिस्ट्री करने वालो सहित सैकड़ों दुकानदारों की दुकानें संचालित होती है जिनसे इन व्यवसायीयो को प्रतिदिन की रोजी रोटी और रोजगार भी मिलता है जिनसे कई परिवार पलते है । इस बात का भी ध्यान भवन अन्यंत्र स्थान्तरित करने से पहले अधिकारीयो को ध्यान में रखना चाहिए।

एक ही परिसर में हो सभी सरकारी भवन सरकार की भी यही मंशा

आमजन के अलावा सरकार का व्यू भी समझे तो शाशन प्रशासन की यही मंशा रही है कि पब्लिक से जुड़ी सभी सरकारी संस्थाए एक ही स्थान पर हो ताकि प्रशाशकीय कामकाज में सुविधाओं के अलावा, कर्मचारियों के बीच तालमेल, कसावट ओर नियंत्रण, समय, ईंधन ओर अन्य खर्चो की बचत भी हो सके । इसके लिये क़ई शहरों स्वयं झाबुआ सहित मंदसौर, नीमच, उज्जैन, दतिया, धार, अलीराजपुर, कुक्षी के उदाहरण मौजूद है जहाँ पर लगभग सभी कार्यालय एक ही परिसर में बने हुए है।

जीर्णशीर्ण भवनों को तोड़कर यही बने सर्व सुविधायक्त भवन

जानकारों की माने तो नवीन भवन के लिये इसी परिषर में पर्याप्त जगह है पुराने जीर्णशीर्ण भवनों को , बन्दीगृह को तोड़कर सर्वसुविधायुक्त तहसील भवन बन सकता है । इस तरह से यदि तहसील भवन के लिये नई भूमि कि तलाश करने की बजाय यदि अधिकारी जनसामान्य की सुविधा, ओर प्रशाशनिक व्यवस्था की आपूर्ति को ध्यान में रखखर इसी भवन को डिसमेंटल कर या इसके आसपास ही नवीन तहसील भवन को बनाने के प्रस्ताव पर विचार करने चाहिए और अधिकांश क्षेत्रवासी ओर कर्मचारियों की भी आंतरिक मंशा यहीं है। जिसके अनुरूप अधिकारीगण से आस भी है।

इनका है कहना

शाशन से 5*5 करोड़ का टेंडर हुआ है भवन के लिये भूमि का सर्वे चल रहा है …तहसीलदार रविंद चौहान

सभी पहलुओं पर विचार कर के शाशन को प्रस्ताव भेजेंगे अभी स्थान तय नही किया है… एसडीएम अनिल कुमार राठौर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here