सोमवार तक कोर्टो में रहेगा कामकाज ठप्प

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पेटलावद। पूरे प्रदेशभर की निचली अदालतों में कार्यरत अभिभाषकों ने संघ के नेतृत्व में कार्य से विरत रहने का निणर्य करते हुए हड़ताल कर रखी है ।

*सोमवार तक कामकाज ठप्प*

इसी क्रम में सोमवार 13 फरवरी को पेटलावद अभिभाषक संघ ने निर्णय लेते हुए आगामी 15 फरवरी तक कार्य से विरत रहने का निर्णय को आगे बढ़ाते हुये आगामि 17 फरवरी तक हड़ताल को निरन्तर जारी रखा है , इस तरह से अब कोर्ट में सोमवार तक पूरी तरह से कामकाज हो गया है।

*सोपा ज्ञापन*

अपनी हड़ताल को आगे बढ़ाते हुए अभिभाषक संघ पेटलावद के अभिभाषकों ने गुरुवार को माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय उच्च न्यायालय जबलपुर के नाम एक ज्ञापन सिविल जज वर्ग 2 चिराग अरोरा को सोपा ।

*ज्ञापन में ये कीया उल्लेख*

माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 25 सूचीबद्ध प्रकरणों को निराकरण हेतु दो माह का समय फिक्स किया था, अब नए आदेश अनुसार कोर्ट के सभी प्रकरण को 256 दिनों में निराकारण के लिए प्रदेश के सभी न्यायालय को निर्देश दिए हे।

*न्याय के उद्देश्यों की नही होती पूर्ति*

इस निर्देश के कारण अधीनस्थ कोर्टो में अभिभाषकों पर तनाव है बल्कि पक्षकारों के साथ न्याय भी नही हो रहा है । इस पूरे मामले को समझे तो कोर्टो में चल रहे सभी केसो लिस्ट तैयार दो उन्हे 25-25 प्रतिशत के चार भाग मे विभाजित का के उन सभि केसों को 64-64 दीन की तय समयावधि में सुनवाई पूरी करना है । ईस तरह से वर्ष के 264 कार्य के दिनों एवम उनमें चिन्हित 25 केस के साथ मिलाकर 66 दिनों मे अनिवार्य रुप से निराकृत करने के निर्देष दिये है।

*न्यायिक प्रक्रिया हो रही दूषित*
इस मामले अधिवक्ताओं का मानना है कि जल्दबाजी में केस निपटाने के चक्कर मे पीड़ित या आरोपी को अपना पक्ष रखने का समुचित अवसर नही मिल पाता है जिससे सुनवाई के नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का अनुपालन नही होने से न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति नही हो पाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी कोर्ट मे 100 केस रहे तो 25-25 केस को 64 दिनों मे निराकरण का समय तय किया जाकर, सभी केसो मे सभि गवाहो के बयान, दस्तावेज पेश करना, जिरह करने का समय भी नही मिल पाता और पक्षकारो को 2 से 4 दिन की तारीखें देकर रवाना करना पड़ता हे।

*बढ़ रहा काम का दबाव*

वही काम की अधिकता के चलते अधिवक्ताओ के साथ ही साथ कोर्ट के कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ने से अभिभाषकों के साथ ही साथ कोर्ट के कर्मचारियों और जजो ओर पॉलिस पर भी तमिली आदि हेतु को भी न्यायालयिन समय से अधिक समय तक कार्य करने के लिये बाध्य होना पड़ रहा है । जिससे इन सभी पर मानसिक ओर स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है , ओर व्यवहारिक दिक्कतो का भी सामना करना पड़ता है।

*बिगड़ते है मधुर सम्बंध*
इन परिस्थितियों के चलते बार ओर बेंच अर्थात अभिभाषकों ,जजो ओर कर्मचारियों के बीच के व्यवहारिक ओर मधुर सम्बन्ध भी बिगड़ने की नोबत आजाती है।

 

*ये रहे उपस्थित*

ज्ञापन सोपते समय अभिभाषक संघ के अध्यक्ष विनोद पुरौहित, सचिव बलदेवसिंह राठौर, उपाध्यक्ष कैलाश चौधरी, वरिष्ठ अधिवक्ता बी एल परमार, अरुण शर्मा, राजेन्द्र चतुर्वेदी, राजेन्द्र मोनन्त, अमृतलाल वोरा, एनके शाह, मनीष व्यास, अनिल देवड़ा, रहिलरजा मंसूरी, नीलेषसिह कुशवाह, विजेंद्र जादौन, मनोज पुरौहित, लक्ष्मीनारायण बेरागी, अविनाश उपाध्याय, जितेंद्र जायसवाल, रविराज पुरोहित,रूपम पटवा, दुर्गेश पाटीदार , राजेश यादव , दीपक बेरागी, ईश्वर परमार , मनीष गवली, देवीसिंह बामनिया, मनोहर डोडिया, साहिलरजा मंसूरी, कमलेश प्रजापति, संजय भायल, संजय राठौर, अजय परमार, अजय राठौर, विजय मुलेवा , चिरायु मोनन्त, विजय मुलेवा, , रविन्द्र मकवाना, हीरालाल ताड, खुशाल हिहोर,,राजपाल दौd, मीरा चौधरी,सुनीता जायसवाल सहित समस्त अभिभाषक उपस्थित रहे।

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