@वॉइस ऑफ झाबुआ
जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त गणेश भाबर पिछले कार्यकाल में भी सुर्खियों में थे… और अब एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में नजर आ रहे है। अब देखों तो सही कोई सप्लायर रातों रात जिले के छात्रावासों में पहुंचा और गीजर लगा कर चला गया और अधीक्षकों ने भी बिना जांचे परखे लगवा भी लिए… सुना है सप्लायर बडी दादागिरी से छात्रावासों में पहुंचा और कहने लगा भाबर साहब से बात हो गई है तुम तो गीजर लगवाओं अभी गीजर लगा देते है बाद में आरो लगा देंगे… सुना है सप्लायर कार्यालयों में ये कहते नजर आ रहे है कि भाबर साहब को पहले कमीशन दो और कोई भी काम करवा लो.. अब पहले जैसे नही है साहब… अब सीधे वो ही कमीशन लेते है… कोई भी काम कर लो लेकिन पहले कमीशन… जनचर्चा है कि अपने को ईमानदार कहने वाले सहायक आयुक्त गणेश भाबर तो कहते है मेरे रहते कोई भी गलत काम नही होगा तो यहां ईमानदारी की बात कहा सही हुई…रातो रात गाडी में भर कर गीजर आये और लग भी गए और बिल भुगतान की तैयारी भी हो गई। अब कोई सही है और कौन गलत ये तो वक्त ही बतायेगा.. लेकिन सुना है गीजर बाजार मुल्य से अधिक मुल्य पर लगाए गए है जिसमें अधीक्षको का भी कमीशन शामिल है। ऐसे में छात्रावासों में क्या क्या सप्लाय हो रहा होगा ये तो सहायक आयुक्त, सप्लायर और अधीक्षक ही जान रहे है। समझ में ये नही आ रहा है कि इन गीजरों में अधीक्षक कितने बच्चों के लिए पानी गर्म कर पाऐंगे… अगर एक एक कर गर्म पानी से नहाये तो घंटों लग जायेगे। सहायक आयुक्त साहब से निवेदन है कही न कहीं ऐसा लग रहा है कि ये आपकी छवि धुमिल करने की साजिश है। ऐसे में इन गीजरों और बिलों की जांच करवाई जाये और इनका भुगतान भी रोका जाये… नही तो ऐसे काम होते रहेगे। इस तरह से छात्रावासों में कई समान सप्लाय हो रहे है… जो घटिया क़िस्म के होने के साथ साथ अधिक मूल्य के है जो हम अगले अंको में आपको बताएँगे