रामलीला में चौथे दिन हुआ राम-भरत मिलाप की लीला का
बड़ी संख्या में आसपास की ग्रामीण मौके पर पहुंचे
हरदा से अजय कुशवाहा की रिपोर्ट
हरदा ।। रहटगांव फुलड़ी में चल रही जिस दौरान चौपाई दोहा छंदऔर साज बाज मैं पंडित शिवदास माथवे द्वारा बाचन किया जा रहा, जिसमें चौथे दिन सोमवार श्रीरामलीला में राम वन गमन के बाद जब भरत व शत्रुघ्न अपने ननिहाल से वापस आते हैं तो समाचार पाकर प्रभु श्रीराम को वन से वापस लाने का प्रयास करने के लिए वन को जाते हैं। लेकिन आखिरकार भरत को समझा-बुझाकर प्रभु श्रीराम वापस भेज देते हैं। भरत खड़ाऊ लेकर अयोध्या आते हैं। ग्राम फुलड़ी के आयोजको ने रामयण के अनुसार लीला में दिखाया गया कि भरत गुरू वशिष्ठ के पास
पहुंचते है। जहां पर वशिष्ठ काफी समझाने का प्रयास करते है बतातें है कि उनकी मां ने दो वरदान मांगे थे इनमें राम वन गमन व भरत को अयोध्या का राजा। इसलिए अयोध्या का शासन उनका इंतजार कर रहा है। इसके बावजूद भरत नहीं मानते है और राम को वापस लेने जाएंगे। यह सुनकर सभी खुश होते है। अगले दिन सुबह गुरू वशिष्ठ के आदेश पर बड़ी संख्या में अयोध्यावासी अपने प्रभु श्रीराम को मिलने वन को प्रस्थान करते हैं। रास्ते में जहां-जहां पर प्रभु श्रीराम ने विश्राम किया था वहीं पर भरत व अयोध्यावासी विश्राम करते हैं। वहीं उनकी भेंट निषादराज केवट से होती है। बाद में सभी राम जी से मिलने पहुंचते हैं। सर्वप्रथम प्रभु श्रीराम माता कै केई से मिलते है। कई बैठकों का दौर चलता है। सभी लोग राम जी से वापस अयोध्या आने के लिए कहते है लेकिन राम जी सभी को प्रेम से समझाकर वापस भेज देते हैं।