दिलीपसिंह भूरिया
आदिवासी की जमीन आदिवादियों के नाम लेकर जिन लोगो ने अपने कब्जे में की हुई है उनको आदिवासीयो की जमीन छोड़ना पड़ेगी यह चेतावनी भील सेना सुप्रीमो शंकर बामनिया के सोसल मीडिया में अपनी बात लिख कर डाली है और जल्दी ही कहा है की आदिवासी समाज के गरीब लोगो की जमीन जिन लोगो में आदिवासियों के नाम कर कब्जा जमाकर उनको अपने अधिकार में अधिकारियों और नेताओ की मिलीभगत से सामान्य लोगो ने अपने नाम कर ली है या अब तैयारिया कर रहे है उनको सारी जमीन छोड़नी पड़ेगी ।जिले में सभी जगह आदिवासियों की ही जमीन थी रियासते कालीन जल जंगल जमीन आदिवासियो के थे प्रदेश के अधिकतर राजा आदिवासी थे मुगलों और अंग्रेजो ने मिलकर और कुछ अन्य जाती के राजाओं ने आदिवासी क्षेत्र के राजाओं को छल कपट से मारकर आदिवासी रियासतों पर अपना आधिपत्य कर लिया और आदिवादियों की जमीनों पर अपने अपने सूबेदार और सैनिक तथा अपने परिवार के लोगो को आधिपत्य देकर आदिवासी समाज का दिन रात शोषण करते रहे जिससे आदिवासी समाज का हर एक अंतिम पंक्ति तक का व्यक्ति आज भी गरीब और शोषित है आज भी सूखे पत्तो की झोपड़ी में रहने को मजबूर है आज़ादी के बाद भी कुछ राजसी परिवार ने अपने अपने क्षेत्र में दबदबा बनाकर आदिवासीयो की गरीबी का फायदा उठाकर गरीबों की जमीन कोडियो के दाम देकर खरीद ली और जो आदिवासी परिवार नही माने उनको मारकर दफन तक कर दिए ।लेकिन आज का युवा शिक्षित है वह देख से सविधान को पद चुका है और देश के कानून को भी अच्छे से जानता है ।जिससे कारण आज आदिवासी युवा अपने हक की लड़ाई खुद लड़ने के लिए विभिन्न मंचो से आवाज उठाकर अपनी व अपने समाज की लड़ाई खुद लड़ रहा है जिससे कारण आज आदिवासियो को उनका हक अधिकार मिलना चाहिए आदिवासी क्षेत्र में पैसा कानून लागू है तो उसके अनुसार आदिवासियों से छीनी गई या जबरन ली गई जमीन आदिवासियों को वापस कर देना चाहिए जिन जिन जमीनों पर अन्य समाज के लोगो ने गैर कानूनी तरीके से जमीन हड़प रखी है उसे प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को उनके हक अधिकार के रूप में जमीन वापस करना चाहिए।।