सात दिवसीय भागवत महापुराण का आज हुआ समापन
कृष्ण सुदामा प्रसंग के साथ समापन हुआ
योगेश गवरी
रिंगनोद :- गहलोत परिवार की और से चल रही सात दिवसीय भागवत महापुराण कथा का सुदामा कृष्ण प्रसंग सुनाकर किया समापन।
आज सप्तम दिवस पंडित अरविंद भारद्वाज ने श्री कृष्ण सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता का अर्थ है दो या दो से अधिक व्यक्तियों के भावों के बंधन यानी श्री कृष्ण और सुदामा के मध्य अंतर्मन के भावों और विचारों से लगाव रहा तभी उनकी मित्रता पाने के लिए श्री कृष्ण को भी तरसना पड़ा सुदामा नम्रता से ओतप्रोत थे उन्होंने श्री कृष्ण के नाम से समस्त मोहमाया के बंधन से छुटकारा पाया और ईश्वर की भक्ति को ग्रहण किया सुदामा दरिद्र ब्राह्मण होते हुए भी उसके पास श्री कृष्ण की कृपा से सब कुछ था उनकी दिनचर्या पाँच घर भिक्षा लेकर अपने परिवार का पालन पौषण करना था ये इनका प्रतिदिन का नियम था उन्होंने नियम बनाकर भक्ति के मार्ग और धर्म के संस्कारों को जीवित रखते हुए अपने कर्तव्यों का पालन किया उन्होंने अपने परिवार के हिस्से का भोजन घर आये श्री कृष्ण और रुक्मिणी को भेंट किया जिससे उन्हें संसार का सुख वैभव प्राप्त हुआ इसी तरह हमे भी घर आये भिक्षुक को कभी खाली हाथ नही लौटाना चाहिए नित्य प्रतिदिन पहली रोटी गाय को खिलाना चाहिए घर मे बाल गोपाल को भोग लगाना चाहिए रोज प्रातः जल्दी उठकर मन्दिर जाना चाहिए यदि प्रतिदिन हम नियमो और धर्म कर्तव्यों का पालन करेंगे तो आज नही तो कल ईश्वर को भी भक्तों के सामने झुकना पड़ेगा और उसे मित्रता करनी पड़ेगी इस प्रसंग में ऐसे कथ्य को सुनाया जिससे उपस्थित श्रद्धालुओं की आखों से अश्रु रुक नही पाए अंत मे महा आरती कर महा प्रसादी वितरण किया समस्त भक्तों ने कथावाचक पंडित भारद्वाज का आशीर्वाद लिया और भागवत पौथी की ढोल के साथ नाच गान कर पैदल यात्रा निकाली गई जिसमे महिला पीछे पीछे गीत गाती हुई चल रही थी यात्रा समापन के बाद अमरालाल गहलोत और नारायण गहलोत परिवार ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भोजन प्रसादी का आयोजन कर धर्म का लाभ लिया।